दुनिया की कुछ ऐसी परंपरा जिसे जानकर आप हो जाएंगे हैरान

विश्व में परंपरा क्या है?
treasure a relatives dead body
रिश्तेदार के मृत शरीर को खजाना की परंपरा
लाश के साथ रहने की परंपरा
इन्डोनेशिया का एक समाज अपने परिजनों से इतना प्यार करता है कि उनकी मौत के बाद भी उन्हें खुद से अलग नहीं कर पाता। दरअसल अपने परिवार के किसी सदस्य की मौत के बाद ये लोग शव को नहीं दफनाते बल्कि उसे अपने साथ ही रखते हैं। ताबूत में डालकर गुफाओं में रखते हैं या फिर पहाड़ियों पर टांग देते हैं। यहाँ ये लोग परिजनों की मौत के बाद भी उनसे जिंदा इंसान की तरह पेश आते हैं। वो समय समय पर कब्र से शवों को बाहर भी निकलते हैं। इसके बाद उन्हें नहलाकर साफ सुथरा करते हैं और नए कपड़े पहनाते हैं। इस दौरान गांव में इनका जुलूस भी निकाला जाता है। इस अहमियत कितनी है? की ये परंपरा हर साल निभाई जाती है।
उंगलिया काटने की परंपरा
इंडोनेशिया के द्वीप में जाती रहती है। जनजाति में आज भी एक ऐसा रिवाज प्रचलित है जो बर्बरता की हद को पार कर देता है। दरअसल इस जनजाति की महिलाओं को किसी रिश्तेदार की मौत पर अपनी अंगुलियो के सिर को काटना पड़ता है। इस कबीले की परंपरा के अनुसार घर के मुखिया की मौत की सजा महिलाओं को जिंदगी भर भुगतनी पड़ती है। इस दर्दनाक और अमानवीय प्रथा के पीछे इनका मानना है कि ऐसा करने से मरने वाले की आत्मा को शांति मिलती है। अंगुली काटने से पहले उन्हें रस्सी से बांध दिया जाता है ताकि खून का प्रवाह रुक जाए। उसके बाद कुल्हाड़ी से उनकी अंगुलियां को काटा जाता है। इस कबीले में ऐसी कई महिलाएं हैं। जिनकी कई उंगलियां काट दी गई है। कई बुजुर्ग महिलाएं तो अपने हाथों की सारी उंगलियां गंवा चुकी है। हालांकि अब सरकार ने इस अमानवीय परंपरा को बंद कर दिया है, लेकिन आज भी यहाँ के कुछ लोग इस प्रथा का पालन करते हैं
भालू की बलि की परंपरा
उत्तरी जापान के रूस के कुछ क्षेत्रों में आया नाम की एक जनजाति निवास करती है। इस जनजाति में भालू की बलि देकर उसका कंकाल पूजने की परंपरा कई सालों से चली आ रही है। इस जनजाति के लोग पहले भालू की बलि अपने इष्टदेव के सामने देते हैं और फिर उसका खून और मांस प्रसाद के रूप में खाते हैं और आखिर में सभी जनजाति के लोग एक जगह इकट्ठा होकर विधि विधान से भालू के कंकाल की पूजा करते हैं। इन लोगों का मानना है कि भालू इंसान और भगवान के बीच की प्रजाति है और भालू की बलि देकर इंसानियत का भला करते हैं।
दुल्हन को आग में लेकर चलने की परंपरा
यह परंपरा चीन के कई हिस्सों में मनाई जाती है, जिसके लिए बकायदा पहले आसपास के लोगों और रिश्तेदारों को इकट्ठा किया जाता है और फिर भोजन कराकर यह अजीब परंपरा निभाई जाती है। यह माना जाता है कि दूल्हा जितना आग का दरिया ज्यादा पार करेगा। उनकी पत्नी उतनी ही सुंदर बच्चे को जन्म देगी।
अंतिम संस्कार में बुलाई जाती है डांसर्स
हमारे देश में किसी के मरने की खबर काफी दुख भरी बात होती है। मरने वालों के दोस्त और रिश्तेदार अंतिम संस्कार के दौरान शोक मनाने के लिए रोते हैं। लेकिन एक देश ऐसा भी है जहाँ शव यात्रा के दौरान वार्ड आन्सर्स को नचवाया जाता है। जिसमें दाह संस्कार के वक्त बार बालाओं से मुजरा कराया जाता है और ये बार डांसर्स अश्लील डांस करते हुए लोगों को खुश करती है। यहाँ की परंपरा के अनुसार जब कोई मरता है तो उसकी शव यात्रा के दौरान उसके जनाजे के काफिले के साथ बहार डान्स करती रहती है और वहाँ बकायदा मृतक की गाड़ी के साथ नाचते हुए शमशान घाट तक जाती है।
रिश्तेदार के मृत शरीर को खजाना
कहीं संस्कृति में अंतिम संस्कार के कुछ ऐसे तरीके है जो भारत में शायद ही अस्वीकार्य है। ऐसा ही कुछ दक्षिण अमेरिका की एक जनजाति के साथ है जो किसी भी व्यक्ति के मर जाने के बाद उसकी राख का सुप बनाकर पीते है। जिस जनजाति की हम बात कर रहे हैं वो दक्षिण अमेरिका की एक जनजाति है जिसका नाम है यानो अम्मी इस जनजाति को यानो नाम या सिनेमा के नाम से भी जाना जाता है और इस जनजाति के लोग वेनेज़ुएला और ब्राज़ील के कुछ हिस्सों में भी पाए जाते हैं। ये आदिवासी जनजाति पश्चिमी सभ्यता से काफी अलग है और अपनी संस्कृति के नियमों के पालन करते हुए ही जी रहे हैं। इस जनजाति में नरभक्षण की तरह ही एक अजीबोगरीब परंपरा है, जिसे एंड ओके कहा जाता है। इस परंपरा में इस जनजाति के लोग अपने ही परिवार के मृतक व्यक्ति का मांस खाते हैं। जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो पहले उसे कुछ दिनों तक आदि से ढक कर रखा जाता है और उसके बाद उस बचे हुए शरीर को जला दिया जाता है। इसमें अधिकतर हड्डियों को जलाया जाता है और फिर शरीर से चिपके मांस को खा भी जाते हैं। जलने के बाद जो राख बचती है उसे भी यह सूप की तरह पी जाते है ऐसा करते वक्त वे लोग काफी रोते भी है |