मंदिर या मकबरा? कौन सच्चा कौन झूठा?

लो भैया, फिर शुरू हो गया तेजो महालय वाला बवाल आगरा का खूबसूरत ताजमहल- मकबरा या मंदिर? फिर उठा सवाल.. मंदिर-मस्जिद की राजनीति वाले देश में क्या फिर आने वाला है बड़ा भूचाल?
 
TEJO-MAHALAYA UNTOLD STORY | Was Taj Mahal really Tejo mahalaya where Youths Pour Ganga water

TEJO-MAHALAYA UNTOLD STORY : आज ये नज़्म हमें क्यों याद आई, क्या ये पता है आपको? बात दरअसल ये है कि ताजमहल को लेकर विवादों का सिलसिला शाहजहां की मौत के बाद से ही चला रहा है... मौजूदा दौर में मोहब्बत की निशानी सियासत की निशानी बन चुकी है... वैसे तो पूरी दुनिया इस अजूबे को देखने भारत आती है..साल 2007 में इसे दुनिया के सात अजूबों की फेहरिस्त में भी जगह मिली थी..लेकिन हमारे ही देश में ये मोहब्बत की निशानी, दो समुदाय के लोगों को आपस में बांटने का काम कर रही है.

उर्दू के मशहूर शायर शकील बदायूंनी की एक नज़्म है...

एक शहंशाह ने बनवाया हंसी ताजमहल, 
सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है। 
इसके साये में सदा प्यार के चर्चे होंगे, 
खत्म जो हो न सकेगी, वो कहानी दी है। 

ताजमहल की सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ के कर्मचारी युवकों के मंसूबों को भाप नहीं पाए

आपने लेटेस्ट न्यूज़ सुनी होगी कि ताजमहल के अंदर जल चढ़ाने का मामला सामने आया है..जानकारी के मुताबिक, हिंदू महासभा के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने ताजमहल के अंदर जल चढ़ाया... बोतल में गंगाजल लेकर आए युवकों ने हर-हर महादेव के नारे लगाए... उन लोगों ने घटना का वीडियो भी बनाकर वायरल किया..ताजमहल की सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ के कर्मचारी युवकों के मंसूबों को भाप नहीं पाए. हालांकि घटना के तुरंत बाद दोनों युवकों को हिरासत में ले लिया गया है. पुलिस के मुताबिक, युवकों ने गंगाजल चढ़ाया या नहीं, अभी ये बात कंफर्म नहीं हो सकी है. मामले की जांच की जा रही है... वहीं घटना से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, हालांकि ये सही भी हैं या नहीं, ये अभी फिलहाल under investigation है. लेकिन इतना ज़रूर है कि तेजो महालय वाला जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर निकल आया है.

ताजमहल के शिव मंदिर होने से संबंधित कई दावे पेश किए

क्या है ताजमहल को लेकर सबसे बड़ा विवाद चलिए आपको कम शब्दों में बता देते हैं..दरअसल, ताजमहल को लेकर विवाद की शुरुआत इतिहास कार पीएन ओके की किताब ट्रू स्टोरी ऑफ ताज से हुई.इस किताब में पीएन ओक ने ताजमहल के शिव मंदिर होने से संबंधित कई दावे पेश किए... ये किताब 1979 में प्रकाशित हुई. ताजमहल को एक शिव मंदिर और राजपूताना महल बताया गया. किताब में दावा किया गया है कि शाहजहां ने महल पर कब्जा किया और उसको मकबरे में तब्दील कर दिया... बस तबसे ही ताजमहल पर विवाद चल आ रहा है... यहां तक की कई हिंदू संगठनों के नेताओं की तरफ से ताज महल को तेजो महालय मंदिर बताने के दावे के ठोस सबूत भी न्यायालय के अधीन पेश किया जा चुके हैं.

भारत में रुचि दिखाने की बात करना इस मुद्दे को हमेशा पीछे छोड़ देता है

लेकिन सबसे बड़ी अजीब बात ये है कि इन दावों पर कभी कोई सीरियस सुनवाई नहीं हुई है... दरअसल सरकारों से लेकर न्यायालयों तक का इस मुद्दे को सुनते ही खारिज कर देना और इतिहास के प्रति उदासीन रवैया अपनाना, आज के पढ़े लिखे युवाओं का गड़े मुर्दों को उखाड़ने की बजाय भविष्य के भारत में रुचि दिखाने की बात करना इस मुद्दे को हमेशा पीछे छोड़ देता है... हालांकि इससे विवाद सुलझ नहीं रहा, बल्कि हर साल छह महीने में सोशल मीडिया और राजनीति में चर्चा का विषय बन जाता है..

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