हनुमान जी ने तोड़ा अहंकारी भीम का अहंकार जानिए कैसे

हनुमान जी ने तोड़ा अहंकारी भीम का अहंकार जानिए कैसे

फिर वृद्ध वानर का रूप धरे हुए पवन पुत्र हनुमान अपने असली स्वरूप में आ जाते हैं

डेस्क-पांडु पुत्र भीम को अपने बलशाली होने पर अत्यंत अहंकार था। वनवास काल के दौरान एक दिन वह वन की ओर विचरते हुए दूर निकल जाते हैं। रास्ते में उन्हें एक वृद्ध वानर मिलता है। वानर की पूँछ भीम के रास्ते में बिछी होती है।

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  • तभी भीम उसे अपनी पूँछ दूर हटा लेने को कहते हैं। परंतु वृद्ध वानर कहता है
  • अब इस आयु में मुझसे बार-बार हिला-डुला नहीं जाता तुम तो काफी हट्टे-कट्टे हो
  • एक काम करो तुम ही मेरी पूँछ को हटा कर आगे बढ़ जाओ।

भीम उस वृद्ध वानर की पूँछ उठा कर हटाने के लिए बहुत प्रयास करते हैं, परंतु वह पूँछ को एक इंच भी हिला नहीं पाते हैं। अंत में भीम उन्हें हाथ जोड़ कर प्रणाम करते हैं और उन्हें अपना परिचय देने का विनम्र आग्रह करते हैं।

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  • फिर वृद्ध वानर का रूप धरे हुए पवन पुत्र हनुमान अपने असली स्वरूप में आ जाते हैं
  • और भीम को अपना अहंकार छोड़ने की सीख देते हैं।

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