जानिए रक्षाबंधन 2018 में कब और कैसे बांधे अपने भाई को राखी

जानिए रक्षाबंधन 2018 में कब और कैसे बांधे अपने भाई को राखी
रक्षा बंधन भाई-बहन के प्यार, स्नेह को दर्शाते इस त्योहार की परंपरा आज लगभग हर धर्म में मनाई जाती है
डेस्क- अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिये हर बहन रक्षा बंधन के दिन का इंतजार करती है। श्रावण मास की पूर्णिमा को यह पर्व मनाया जाता है।
हमारे देश में श्रावण मास की पूर्णिमा में एक ऐसा पर्व मनाया जाता है जिसमें पूरे देश के भाई-बहनों का आपसी प्यार दिखाई देता है – वह हैं रक्षा बंधन|
  • इस वर्ष 2018 में रक्षा बंधन 26 अगस्त, रविवार को मनाया जाएगा|
  • भाई-बहन के प्यार, स्नेह को दर्शाते इस त्योहार की परंपरा आज लगभग हर धर्म में मनाई जाती है|
  • धर्म-मज़हब से परे यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है|
  • किसी भी रिश्तें की मजबूती की बुनियाद होता है विश्वास|
  • और यही विश्वास एक बहन अपने भाई पर रखती है जब वह इस पर्व के दिन भाई की कलाई पर एक धागा जिसे राखी कहते है, बांधती है|
  • अपने हाथ में राखी बंधवाकर भाई यह प्रतिज्ञा करता है कि वह अपनी बहन की सदैव रक्षा करेगा चाहे परिस्थिति कितनी ही विषम क्यों ना हो|
  • राखी का धागा केवल रक्षा ही नहीं बल्कि प्रेम और निष्ठा से दिलों को भी जोड़ता है|
इस पर्व को मनाने के पिछे कहानियां हैं। ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार यदि इस पर्व की शुरुआत के बारे में देखें तो यह भाई-बहन का त्यौहार नहीं बल्कि विजय प्राप्ति के किया गया रक्षा बंधन है।
भविष्य पुराण के अनुसार जो कथा मिलती है वह इस प्रकार है
बहुत समय पहले की बाद है देवताओं और असुरों में युद्ध छिड़ा हुआ था लगातार 12 साल तक युद्ध चलता रहा और अंतत: असुरों ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर देवराज इंद्र के सिंहासन सहित तीनों लोकों को जीत लिया। इसके बाद इंद्र देवताओं के गुरु, ग्रह बृहस्पति के पास के गये और सलाह मांगी। बृ
हस्पति ने इन्हें मंत्रोच्चारण के साथ रक्षा
विधान करने को कहा। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन गुरू बृहस्पति ने रक्षा विधान संस्कार आरंभ किया। इस रक्षा विधान के दौरान मंत्रोच्चारण से रक्षा पोटली को मजबूत किया गया। पूजा के बाद इस पोटली को देवराज इंद्र की पत्नी शचि जिन्हें इंद्राणी भी कहा जाता है ने इस रक्षा पोटली के देवराज इंद्र के दाहिने हाथ पर बांधा। इसकी ताकत से ही देवराज इंद्र असुरों को हराने और अपना खोया राज्य वापस पाने में कामयाब हुए।
  • वर्तमान में यह त्यौहार बहन-भाई के प्यार का पर्याय बन चुका है, कहा जा सकता है कि यह भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को और गहरा करने वाला पर्व है।
  • एक ओर जहां भाई-बहन के प्रति अपने दायित्व निभाने का वचन बहन को देता है, तो दूसरी ओर बहन भी भाई की लंबी उम्र के लिये उपवास रखती है।
  • इस दिन भाई की कलाई पर जो राखी बहन बांधती है वह सिर्फ रेशम की डोर या धागा मात्र नहीं होती बल्कि वह बहन-भाई के अटूट और पवित्र प्रेम का बंधन और रक्षा पोटली जैसी शक्ति भी उस साधारण से नजर आने वाले धागे में निहित होती है|
  • एक कथा के अनुसार ग्रीक नरेश महान सिकंदर की पत्नी ने सिकंदर के शत्रु पुरुराज की कलाई में राखी बांधी थी ताकि युद्ध में उनके पति की रक्षा हो सके|
  • और ऐसा हुआ भी, युद्ध के दौरान कईं अवसर ऐसे आए जिनमें पुरुराज ने जब भी सिकंदर पर प्राण घातक प्रहार करना चाहा, किन्तु अपनी कलाई पर बंधी राखी देख पुरुराज ने सिकंदर को प्राणदान दिया|
महाभारतकाल में जब श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया था तो उस समय उनकी ऊँगली कट गयी थी| श्रीकृष्ण के ऊँगली से रक्त बहता देख द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्ला फाड़ कर उनकी ऊँगली पर बाँध दिया था| वह साड़ी का एक टुकड़ा किसी रक्षासूत्र से कम नहीं था अतः श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को सदैव उनकी रक्षा करने का वचन दिया| और जब आगे जाकर भरी सभा में दु:शासन द्रपुदी का चीरहरण कर रहा था और पांडव और अन्य सभी उनकी सहायता नहीं कर पा रहे थे तब श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की लाज राखी और अपना वचन पूर्ण किया|
पुराणों में एक और रोचक कथा का है वर्णन
पुराणों में एक और रोचक कथा का वर्णन है| एक समय भगवान विष्णु राजा बलि को दिए गए अपने वचन को पूरा करने के लिए बैकुण्ड छोड़ कर बलि के राज्य चले गए थे और बलि के राज्य की रक्षा करने लगे| माँ लक्ष्मी ने भगवान को वापस लाने के लिए एक दिन एक ब्राह्मणी के रूप में राजा बलि की कलाई पर राखी बाँध कर उसके लिए मंगलकामना की| राजा बलि ने भी ब्राह्मणी रुपी माँ लक्ष्मी को अपनी बहन माना और उनकी रक्षा का वचन दिया| तब माँ लक्ष्मी अपनी असल रूप में आई और राजा बलि से विनती की कि वह श्रीविष्णु जी को अपने वचन से मुक्त कर पुनः बैकुण्ड लौट जाने दे| राजा बलि ने अपनी बहन को दिए वचन की लाज रखी और प्रभु को अपने वचन से मुक्त कर दिया|
  • रक्षा बंधन भाई-बहन का त्यौहार है।
  • बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है, जिसे राखी कहा जाता है।
  • रक्षा बंधन सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है। राखी सामान्यतः भाई बहनों का त्यौहार है पर इस त्यौहार को ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता) को भी बाँधी जाती है।
  • सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है।

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