Hartalika Teej 2018 व्रत में वर्जित हैं कर्इ कार्य जाने क्यों

Hartalika Teej 2018 व्रत में वर्जित हैं कर्इ कार्य जाने क्यों

Hartalika Teej व्रत करने वाली महिलाआें के लिए सोना नही चाहिए ।

डेस्क-शिव पार्वती की तरह हर जन्म में एक ही जीवनसाथी पाने आैर अखंड सौभाग्य के लिए महिलायें Hartalika Teej का व्रत रखती हैं।

जानें Hartalika Teej व्रत के करते समय किन चीजों का रखें ध्यान

इस व्रत करते समय सोना नही चाहिए

  • 12 सितंबर 2018 यानि आज है हरतालिका तीज व्रत| इस व्रत में विधि विधान आैर इसके कठोर नियमों का पालन करना अनिवार्य है|
  • एेसा पौराणिक कथा में स्पष्ट कहा गया है। इस व्रत में कुछ बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है।
  • हरतालिका व्रत करने वाली महिलाआें के लिए सोना नही चाहिए ।
  • यह व्रत कुमारी कन्यायें आैर सुहागिन महिलाएं दोनों ही रख सकती हैं, परन्तु एक बार व्रत प्रारंभ करने के जीवन पर्यन्त इसे रखना अनिवार्य होता है।
  • केवल एक ही स्थिति में इस व्रत को छोड़ा जा सकता है, यदि व्रत रखने वाली गंभीर रूप से बीमार हो जाये तो परंतु उस स्थिति में किसी दूसरी महिला या उसके पति को ये व्रत करना होगा।

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व्रत कथा में बताया है क्या नही करना है

हरतालिका तीज की व्रत कथा में क्रमवार उन सारी बातों का जिक्र है जिन्हें इस दिन करना निषिद्घ बताया गया है आैर इसीलिए इस व्रत के नियम अत्यंत कठोर हैं। इन सारी बातों के पालन की अनिर्वायता के चलते ही हरतालिका तीज का व्रत महाव्रत कहलाता है। कथा के अनुसार इस दिन महिलाओं को क्रोध नहीं करना चाहिए, क्रोध करने से मन की पवित्रता का ह्रास हो जाता है। संभवत: इसी लिए गुस्‍से को शांत करने के लिए महिलाएं हाथों में मेंहदी लगाती हैं। व्रत के दिन पूरी रात जाग कर पूजा करनी चाहिए। कथा के अनुसार मान्‍यता है कि यदि व्रत रखने वाली महिला रात में सो जाती है तो वह अगले जन्‍म में अजगर के रूप में जन्‍म लेती है। इसी तरह बताया गया है कि इस दिन व्रत रखने वाली महिला अगर गलती से कुछ खा या पी ले तो वह अगले जन्‍म में वानर बन जाती है। जो महिलायें इस दिन निर्जल रह कर व्रत नहीं करती तो जल पीने से वे अगले जन्‍म में मछली बन जाती हैं, एेसा कहा गया है। इास पर्व पर गलती से भी सामिष भोजन करने वाली महिलाआें को कठोर श्राप के बारे में कहा गया है। कथा के अनुसार हरतालिका व्रत पर दूध पीने वाली स्त्रियां अगले जन्‍म में सर्प योनि में जन्‍म लेती है।

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व्रत की पूजा विधि

  • इस दिन व्रत करने वाली महिलाओं सूर्योदय से पूर्व ही उठ जाती हैं, और नहा धोकर पूरा श्रृंगार करती हैं।
  • पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर गौरी−शंकर की प्रतिमा स्थापित की जाती है।
  • हरतालिका तीज प्रदोषकाल में किया जाता है।
  • हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू या काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाते हैं, फिर पूजा मंडप को फूलों से सजाकर वहां एक चौकी रखते हैं और उस पर केले का पत्ते बिछा कर इस मूर्ति स्थापित करते हैं।
  • इसके बाद सभी देवी − देवताओं का आह्वान करते हुए शिव, पार्वती और गणेश जी का षोडशोपचार पूजन करते हैं।
  • पूजन के पश्चात पार्वती जी पर सुहाग का सारा सामान चढ़ा कर हरतालिका तीज की कथा पढ़ी आैर सुनी जाती है। सुहाग यानि देवी को चढ़ाया सिंदूर अपनी मांग में लगाया जाता है।
  • अब इस दिन रात में भजन, कीर्तन करते हुए जागरण करते हुए तीन बार शिव जी आरती होती है।
  • अगले दिन पुन: पूजा आरती आैर सुहाग लेते हैं।
  • समस्त श्रृंगार सामग्री ,वस्त्र ,खाद्य सामग्री ,फल आैर मिष्ठान्न आदि को किसी सुपात्र अथवा सुहागिन महिला को दान करके व्रत का पारण करते हैं।

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हरतालिका तीज व्रत का शुभ मुहूर्त

प्रातःकाल मुहूर्त :06:04:17 से 08:33:31 तकअवधि :2 घंटे 29 मिनट

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