Tulsi Vivah 2018:19 नवबंर को है तुलसी विवाह जाने क्या न करे इस दिन

Tulsi Vivah 2018:19 नवबंर को है तुलसी विवाह जाने क्या न करे इस दिन

देव उठनी एकादशी पर तुलसी विवाह किया जाता है जिसे छोटी दीवाली भी कहते हैं

डेस्क-एकादशी के दिन भगवान विष्णु 4 महीनों की गहरी नींद के बाद जागते हैं। देवउठनी एकादशी के बाद से सभी तरह के शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।

इस बार 19 नवंबर को देवउठनी एकादशी है। देव उठनी एकादशी पर तुलसी विवाह किया जाता है जिसे छोटी दीवाली भी कहते हैं।

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आइए जानते हैं तुलसी विवाह से जुड़ी कुछ खास बातें

  • तुलसी विवाह में वे सभी चीजें शामिल करें जो एक विवाह कराने में जरूरी होता है।
  • जिस तरह के विवाह में लाल चुनरी का होना आवश्यक माना जाता है उसी तरह से तुलसी विवाह में लाल चुनरी का प्रयोग होना चाहिए।
  • तुलसी विवाह में सुहाग की सारी सामग्री के साथ लाल चुनरी जरूर चढ़ाएं।
  • तुलसी विवाह के दौरान भगवान शालिग्राम को माता तुलसी के पास रखें और पूजा के दौरान इस बात का ध्यान जरूर रखें कि उन पर चावल न चढ़ाएं बल्कि इसकी जगह तिल को अर्पित करें।
  • जिस प्रकार से किसी शादी समारोह में विवाह मंडप होता है उसी तरह से गन्ने का इस्तेमाल करके तुलसी विवाह के लिए मंडप सजाना चाहिए।
  • तुलसी और शालिग्राम जी के विवाह के दौरान दूध में भीगी हल्दी के साथ दोनों की पूजा करें।
  • तुलसी विवाह के दौरान शाम को तुलसी के पौधे को घर के आंगन या छत के बीच में रखना चाहिए।
  • शाम के समय सारा परिवार इसी तरह तैयार हो जैसे विवाह समारोह के लिए होते हैं।
  • तुलसी के गमले के ऊपर गन्ने का मंडप सजाएं।
  • तुलसी देवी पर समस्त सुहाग सामग्री के साथ लाल चुनरी चढ़ाएं।
  • गमले में सालिग्राम जी रखें।
  • सालिग्राम जी पर चावल नहीं चढ़ते हैं। उन पर तिल चढ़ाई जा सकती है।
  • तुलसी और सालिग्राम जी पर दूध में भीगी हल्दी लगाएं।
  • गन्ने के मंडप पर भी हल्दी का लेप करें और उसकी पूजन करें।
  • अगर हिंदू धर्म में विवाह के समय बोला जाने वाला मंगलाष्टक आता है तो वह अवश्य करें।
  • देव प्रबोधिनी एकादशी से कुछ वस्तुएं खाना आरंभ किया जाता है।
  • अत: भाजी, मूली़ बेर और आंवला जैसी सामग्री बाजार में पूजन में चढ़ाने के लिए मिलती है वह लेकर आएं।
  • कपूर से आरती करें।
  • प्रसाद चढ़ाएं।
  • 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करें।
  • प्रसाद को मुख्य आहार के साथ ग्रहण करें।
  • प्रसाद वितरण अवश्य करें।
  • पूजा समाप्ति पर घर के सभी सदस्य चारों तरफ से पटिए को उठा कर भगवान विष्णु से जागने का आह्वान करें|
  • मां तुलसी से उनकी तरह पवित्रता का वरदान मांगें।

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आरती करते समय ये बोले

नमो नमो तुलजा महारानी, नमो नमो हरि की पटरानी


इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भी देव को जगाया जाता है


उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये।
त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्‌ सुप्तं भवेदिदम्‌॥'
'उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।
गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः॥'
'शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।'


तुलसी नामाष्टक पढ़ें


वृन्दा वृन्दावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी। पुष्पसारा नन्दनीच तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्रोतं नामर्थं संयुक्तम। य: पठेत तां च सम्पूज् सौऽश्रमेघ फललंमेता।।

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