ज्येष्ठ मास का क्या है महत्व ?,जानिए जेठ के महीने में पड़ने वाले व्रत

ज्येष्ठ मास का क्या है महत्व ?,जानिए जेठ के महीने में पड़ने वाले व्रत

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जेठ का महीना कब से शुरू है ?

वैदिक हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ- 27 मई से 24 जून 2021 ज्येष्ठ मास शुरू हो जाएगा।

ज्येष्ठ मास का नाम सुनते ही तपती हुई दुपहरी का चित्र दिमाग में जरूर बनता हैं। बनेगा भी क्यों नहीं इस मास में झूलसा देने वाली गर्मी जो पड़ती है। गर्मियां वैसे तो फाल्गुन मास के उतरते समय ही शुरू हो जाती हैं फिर चैत्र और वैशाख पार करने पर जब ज्येष्ठ मास का आरंभ होता है तो गर्मी का मौसम ऊफान पर होता है। इसलिये हमारे ऋषि-मुनियों ने ज्येष्ठ में जल का महत्व बहुत अधिक माना है।ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि जल को समर्पित व्रत और त्यौहार भी इसी मास में मनाये जाते हैं। गर्मियों में पानी की किल्लत से हर कोई परेशान रहता है यही कारण हैं कि बड़े बुजूर्गों ने इन पर्व त्यौहारों के जरिये पानी का महत्व समझाने का प्रयास किया है। जल के महत्व को बताने वाले ज्येष्ठ मास की शुुरुआत 8 मई से 2020 हो रही है, 5 जून को 2030 ज्येष्ठ पूर्णिमा के साथ ही ज्येष्ठ माह की समाप्ति होगी।



जानिए कैसे पड़ा इस मास का नाम ज्येष्ठ?

ज्येष्ठ हिंदू पंचाग के अनुसार चंद्र मास का तीसरा महीना होता है चैत्र और वैशाख मास के बाद आता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह मास अक्सर मई और जून के महीने में पड़ता है। जैसा कि सभी चंद्र मासों के नाम नक्षत्रों पर आधारित हैं ज्येष्ठ माह भी ज्येष्ठा नामक नक्षत्र पर आधारित है।

सम्भव हो तो ज्येष्ठ महीने में संभव हो तो एक समय भोजन करना चाहिए। महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा है-"ज्येष्ठामूलं तु यो मासमेकभक्तेन संक्षिपेत्। ऐश्वर्यमतुलं श्रेष्ठं पुमान्स्त्री वा प्रपद्यते।।" अर्थात ज्येष्ठ के महीने में जो व्यक्ति एक समय भोजन करता है वह धनवान होता है। दरअसल इससे व्यक्ति स्वस्थ रहता है और चिकित्सा में धन नष्ट नहीं होता है।

इस माह में वातावरण और शरीर में जल का स्तर गिरने लगता है, अतः जल का सही और पर्याप्त प्रयोग करना चाहिए। इस माह में सन स्ट्रोक और खान-पान की बीमारियों से बचाव आवश्यक है। इस माह में हरी सब्जियां, सत्तू, जल वाले फलों का उपयोग काफी लाभदायक होता है। इसके अलावा इस माह में दोपहर का विश्राम करना भी लाभदायक माना गया है।

वर्तमान हालात में लॉकडाउन का असर वैवाहिक कार्यक्रमों पर भी हो रहा है। सबसे अधिक समस्या परिवार में जेष्ठ पुत्र और जेष्ठ पुत्रियों के विवाह के लिए हो रही है। कल 8 मई 2020 से जेष्ठ का महीना शुरू हो जाएगा। इस महीने में जेष्ठ लड़के और जेष्ठ लड़की का विवाह नहीं हो पाएगा। जिन जेष्ठ युवक-युवती के विवाह मुहूर्त जेष्ठ माह के बाद नहीं है, ऐसे लोगों के विवाह फिर देव उठनी एकादशी या पूरे एक साल बाद होंगे।


ज्येष्ठ माह में हिन्दू पंचांग के अनुसार पड़ने वाले व्रत

ज्येष्ठ मॉस की कृष्ण एकादशी को कुछ जगहों पर आपरा एकादशी का भी नाम दिया जाता है | अपरा एकादशी को भगवान् विष्णु की भी पूजा की जाती है

ज्येष्ठ अमावस्या को पूर्वजों की शान्ति के लिए दान पुण्य किया जाता है जिससे की पूर्वजों को शांति मिल सके इसी दिन शनि देव का जन्म दिन भी मनाया जाता है

गंगा दशहरा – गंगा दशहरा का त्यौहार ज्येष्ठ मास में मनाया जाने वाला विशेष त्यौहार है। यह त्यौहार मोक्षदायिनी मां गंगा के महत्व को बतलाता ही है साथ ही जल के सरंक्षण का संदेश भी देता है। गंगा दशहरा ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व 1 जून को है।


निर्जला एकादशी – निर्जला एकादशी का उपवास काफी कठिन होता है। इस दिन जल की एक बूंद तक व्रती को ग्रहण नहीं करनी होती साथ ही उसे दूसरों को जल पिलाना होता है। सब्र संतोष और जल संरक्षण सहित जल के महत्व को समझने का यह उपवास ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को रखा जाता है। निर्जला एकादशी सभी एकादशियों में श्रेष्ठ मानी जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार निर्जला एकादशी का उपवास 2 जून को है। इसी तिथि को गायत्री जयंती भी मनाई जाती है।

इसी दिन भारत के कुछ क्षेत्रों में खासकर महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत के राज्यों में यह ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट पूर्णिमा व्रत मनाया जाता है|

समझें ज्येष्ठ महीने में जल का महत्व को ---

ज्येष्ठ माह में निर्जला व्रत रखने का जो विशेष कारण बताया गया है वह है की इस महीने में गर्मी बढ़ने के कारण बड़ी तेजी के साथ जलाशयों से बहुत तेजी के साथ वास्प से बादल बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है जिसके कारण पुराने समय से ही जल सरक्षण का यह तरीका या विधि अपने गई थी |

ज्येष्ठ माह में कैसे करें पूजा और क्या करें क्या न करें ?

– इस माह में दिन में सोना अच्छा नहीं माना जाता। एक कहावत अनुसार ज्येष्ठ के महीने में दिन में सोने से व्यक्ति रोगी बनता है। साथ ही इस माह में दोपहर में चलना भी मना होता है। क्योंकि इस समय सूर्य का प्रकाश काफी तेज होता है जिस कारण धूप में चलने से व्यक्ति बीमार हो सकता है।

– इस महीने में बैंगन नहीं खाया जाता। कहा जाता है कि जिनकी सबसे बड़ी संतान जीवित हों उन्हें बैंगन खाने से बचना चाहिए। इससे संतान को कष्ट मिलता है।

– इस महीने में सबसे बड़े पुत्र और सबसे बड़ी पुत्री का विवाह नहीं किया जाता। धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस महीने इनका विवाह करने से वैवाहिक जीवन में अनेक कष्ट भोगने पड़ते हैं।

– महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा है-"ज्येष्ठामूलं तु यो मासमेकभक्तेन संक्षिपेत्। ऐश्वर्यमतुलं श्रेष्ठं पुमान्स्त्री वा प्रपद्यते।।" अर्थात ज्येष्ठ के महीने में जो व्यक्ति एक समय भोजन करता है वह धनवान होता है। इसलिए कहा गया है कि ज्येष्ठ के महीने में संभव हो तो एक समय भोजन करना चाहिए।

– इस महीने में तिल का दान करना काफी फलदायी माना गया है। कहा जाता है कि ऐसा करने से अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

–जेठ के महीने में ही बड़ा मंगल पड़ता है और इस पुरे महीने हनुमान जी की विशेष आराधना और पूजा की जाती है इस महीने का इसलिए भी बड़ा महत्व है क्योंकि जेठ के ही महीने में पहली बार हनुमानजी और श्री राम चंद्र जी की मुलाकात हुई थी इसलिए पुरे महीने हनुमानजी की पूजा मंगलवार को भंडारा भी किया जाता है |

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