बुध और शुक्र की युति से होता है लक्ष्मी नारायण योग ,जानिए क्या है लक्ष्मी नारायण योग

 
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 लक्ष्मी नारायण योग से क्या होता है ?

लक्ष्मी नारायण योग जातक को अपार धन सम्पदा देने के साथ-साथ ज्ञानी भी बनाता है। ज्ञानी होने से जातक अपने सम्पूर्ण धन का प्रयोग सही दिशा में  करता है।
लक्ष्मी नारायण योग बहुत ही कम कुंडलियों में पूर्ण रूप से बनता है क्योंकि सिर्फ युति होने से ये नहीं माना जा सकता कि यह लक्ष्मी नारायण योग है क्योंकि यह निर्भर करता है कि युति कुंडली के अच्छे घर में हो इसके साथ-साथ अन्य नियम भी होते हैं जिनके तहत ये लक्ष्मी नारायण योग बनता हैं।
लक्ष्मी नारायण योग कुंडली में शुक्र ग्रह और बुध ग्रह की युति से बनता है अर्थात्‌ लग्न कुंडली में जब ये दोनों ही ग्रह एकसाथ होकर कुंडली के किसी अच्छे भाव में योगकारक होते हैं और साथ में अंश भी अच्छे हों तो यह भी कारक होता है लक्ष्मी नारायण योग का ।

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लक्ष्मी नारायण को कुंडली मे कैसे देखें ,कुंडली मे लक्ष्मी नारायण योग कैसे बनता है ?

लक्ष्मी नारायण योग किसी भी कुंडली मे देखने के कई तरीके ज्योतिषियों द्वारा बताए गए हैं । 
1.योगकारक:- शुक्र और बुध दोनों ही ग्रह कुंडली में योगकारक हों
2.अंशबल:- दोनों ग्रहों का अंश बल अच्छा हो
3.अस्त अवस्था:- दोनों ही ग्रह सूर्य से अस्त ना हो क्योंकि दोनों ही ग्रह सूर्य के आसपास ही रहते हैं इसलिए इनके अस्त होने की संभावना अधिक रहती है।
4. नीच अवस्था:- कोई भी ग्रह कुंडली में नीच का ना हो अगर हो तो उनका नीच भंग अवश्य हो।
5. स्वग्गृही:- शुक्र या बुध दोनों में से कोई एक ग्रह अगर स्वग्रही होता है तो षडबल से यह योग बलशाली होता है।6. मित्रगृही:- शुक्र+बुध अगर मित्र ग्रह की राशि में होते हैं तो इनको षडबल मिलता है।

बुध शुक्र युति कुंडली के प्रत्येक भाव मे क्या असर डालता है । 

 कुंडली के पहले भाव मे बुध शुक्र युति होने पर लक्ष्मी नारायण योग बनता हैं। 
  बुध शुक्र युति दूसरे भाव मे होने पर लक्ष्मी नारायण योग बनेगा लेकिन इसभव में षड्बल काम होना बताया जाता है जिसके कारण यह बहुत प्रभावी फल नही दे पाएगा ।
   बुध और शुक्र की युति 3 भाव में होने से भी योग बनेगा लेकिन यहाँ षडबल कमजोर होगा क्योंकि तृतीय भाव में बुध तो मित्र की राशि में हैं लेकिन शुक्र शत्रु की राशि में हैं
बुध और शुक्र की युति 4 भाव में होने से बुध उच्च के होते हैं लेकिन शुक्र नीच के होते हैं इसलिए यहाँ नीच भंग राजयोग के साथ-साथ लक्ष्मी नारायण योग भी बनेगा।
बुध और शुक्र की युति 5 भाव में होने से दोनों ही ग्रह योगकारक होते हैं इसलिए राजयोग बनेगा।
 बुध शुक्र की युति 6 भाव में  ट्रिक भाव होने के कारण राजयोग का निर्माण  नहीं होगा।
  जबकि यही बुध शुक्र की युति 7 भाव में  लक्ष्मी नारायण योग बनाएगा ।
  बुध शुक्र युति 8 वें भाव मे नही बनेगा त्रिक भाव में होने के कारण लक्ष्मी नारायण योग नही बनेगा ।
  बुध और शुक्र की युति 9 भाव में इस राजयोग का निर्माण करेगी।
    बुध और शुक्र की युति 10 भाव में बुध नीच के होते हैं लेकिन शुक्र उच्च के होने से नीच भंग राजयोग भी बनेगा और लक्ष्मी नारायण योग भी बनेगा।
  बुध शुक्र युति 11 भाव में  लक्ष्मी नारायण योग बनाती है लेकिन इस राजयोग तो होता है लेकिन इसका असर कम ही होता है क्योंकि इस भाव  ल षडबल कमजोर होने से लाभ नही मिल पायेगा । 
षडबल से ग्रहों का असर देखा जाता है । इसमें राहु और केतु की गणना नही की जाती है । 

  12 वें भाव मे  बुध शुक्र  युति त्रिक भाव मे होने के कारण लक्ष्मी नारायण योग नही बनेगा ।

सभी लग्न में  लक्ष्मी नारायण राजयोग का विश्लेषण
मेष लग्न में होता है ।
वृषभ लग्न बनेगा पर 6-8-12 भाव में नहीं
मिथुन लग्न में लक्ष्मी नारायण योग होता है लेकिन   6-8-12 भाव में नही बनता है ।
कर्क लग्न केवल 3H और 9H में
सिंह लग्न में होता है  लेकिन 6-8-12 भाव में नहीं बनता है ।
कन्या लग्न बनेगा पर 6-8-12 भाव में नहीं
तुला लग्न बनेगा पर 6-8-12 भाव में नहीं
वृश्चिक लग्न केवल 5H और 11H में
धनु लग्न 4,10 और 11 भाव में केवल
मकर लग्न बनेगा पर 6-8-12 भाव में नहीं
कुंभ लग्न में भी बनता है लेकिन  6-8-12 भाव में नहीं बनता है ।
मीन लग्न 1,3 और 7 भाव में केवल

♦मेष लग्न में लक्ष्मी नारायण योग बनेगा या नहीं ये आप बताओगे। मैं ये वादा करता हूँ कि जो इस प्रश्न का पहला उत्तर सही देगा उन प्रथम  व्यक्ति की कुंडली मैं फ्री में देखूँगा।

♦इस राजयोग को देखते समय आपको सबसे पहले ये देखना है कि दोनों ग्रह कुंडली में किसी भी दशा में योगकारक हों और इन दोनों ग्रहों की युति कुंडली के त्रिक भाव अर्थात्‌ 6-8-12 में ना हो तथा सबसे महत्वपूर्ण कि ये दोनों ही ग्रह सूर्य से अस्त ना हो इसके साथ यह भी देखना होता है कि इस राजयोग का समय जीवन मे कुंडली के अनुसार कब होता है ।

शुक्र की महादशा हो या फिर बुध की महादशा हो और इसी महादशा में शुक्र या बुध की अंतर्दशा आने पर यह राजयोग पूर्ण रूप से कार्य करता है। 

लक्ष्मीनारायण राजयोग के लाभ

सभी 12 लग्न में लक्ष्मी नारायण योग का फायदा होता है लेकिन किस लग्न में कितना फल देगा इसके लिए कई सारे फैक्टर का विश्लेषण ज्योतिषियों द्वारा किया जाता है जिसमे अंतर्दशा महादशा का विश्लेषण सबसे महत्वपूर्ण होता है ।

ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि लक्ष्मी नारायण योग का किसके लिए कितना फायदा होगा किस की कुंडली में कितना फल हो रहा है इसके लिए महादशा अंतर्दशा के साथ ही ग्रहों के अंश का भी बहुत बड़ा योगदान रहता है और उस पर कौन से ग्रहों की दृष्टि पड़ रही है इसका भी बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है इसलिए इस प्रकार के राजयोग का कितना फायदा किसको मिलेगा इसका विश्लेषण योग्य ज्योतिषियों द्वारा ही किया जा सकता है।

डिस्क्लेमर इस जानकारी को विभिन्न स्रोतों से प्राप्त करके योगी ज्योतिषियों के द्वारा दिए गए विभिन्न मतों के अनुसार दिए गए हैं आप की खबर के द्वारा इसका कोई भी जिम्मेदारी नहीं लिया जाता है अपने कुंडली का विश्लेषण किसी योग्य ज्योतिषी द्वारा करा कर ही आप उसका पूरा निदान प्राप्त कर सकते हैं ।

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