Mauni Amavasya 2024 : मौनी अमावस्या क्यों मनाया जाता है? अमावस्या की रात का क्या महत्व है जानिए 

Mauni Amavasya 2024: Why is Mauni Amavasya celebrated? Know the significance of Amavasya night
Mauni Amavasya 2024 : मौनी अमावस्या क्यों मनाया जाता है? अमावस्या की रात का क्या महत्व है जानिए 
Mauni Amavasya  2024 : मौनी अमावस्या हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह माघ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को मौन अमावस्या, माघी अमावस्या, और पितृ अमावस्या भी कहा जाता है।

मौनी अमावस्या मनाने के कई कारण 

1. मौन का महत्व 

इस दिन मौन रहने का विशेष महत्व है। मौन को मन की शुद्धि और आत्म-साक्षात्कार का द्वार माना जाता है। मौन रहकर, हम अपने विचारों को नियंत्रित कर सकते हैं और आत्म-चिंतन में लीन हो सकते हैं।

2. पितृ ऋण

मौनी अमावस्या को पितृ ऋण चुकाने का दिन भी माना जाता है। इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, और दान-पुण्य किए जाते हैं।

3. स्नान का महत्व

मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

4. दान का महत्व 

मौनी अमावस्या के दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है। इस दिन दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

5. साधना का महत्व 

मौनी अमावस्या साधना-भक्ति के लिए भी एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन लोग उपवास, ध्यान, और जप करते हैं।

मौनी अमावस्या का महत्व 

मौनी अमावस्या का महत्व आध्यात्मिक और धार्मिक दोनों दृष्टिकोण से है। यह दिन आत्म-चिंतन, मन की शुद्धि, और पितृ ऋण चुकाने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन किए गए दान-पुण्य और साधना-भक्ति से अक्षय फल की प्राप्ति होती है |

मौनी अमावस्या की तिथि 

मौनी अमावस्या की डेट हर साल बदलती है। इस साल 9 फरवरी 2024 यानि की आज शुक्रवार को मौनी अमावस्या जा रही है |

अमावस्या की रात का क्या महत्व है?

धार्मिक दृष्टिकोण

पितृ पक्ष: अमावस्या पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है, जो पितरों को याद करने और उनके लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने का समय होता है।

नई शुरुआत: अमावस्या को अंधेरे की रात माना जाता है, जो पुरानी चीजों का अंत और नई शुरुआत का प्रतीक है।

शिव पूजा: अमावस्या भगवान शिव को समर्पित होती है, और इस दिन शिव मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण

चंद्रमा का प्रभाव: अमावस्या को चंद्रमा दिखाई नहीं देता है, जिसके कारण नकारात्मक ऊर्जाएं बढ़ जाती हैं।
ग्रहों का प्रभाव: अमावस्या के दिन ग्रहों का विशेष प्रभाव होता है, जो लोगों के जीवन पर प्रभाव डाल सकता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण: अमावस्या के दिन चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण कम होता है, जिसके कारण समुद्र में ज्वार-भाटा कम होता है।
चंद्रमा का प्रकाश: चंद्रमा का प्रकाश न होने के कारण, रात अंधेरी होती है और तापमान कम होता है।

तांत्रिक दृष्टिकोण

तंत्र साधना: अमावस्या को तंत्र साधना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
नकारात्मक ऊर्जा: अमावस्या को नकारात्मक ऊर्जाओं का प्रभाव बढ़ जाता है, जिसके कारण तंत्र-मंत्र का प्रभाव भी बढ़ जाता है।

अमावस्या की रात के कुछ सावधानियां

अमावस्या की रात को देर रात अकेले घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। और श्मशान घाट और अन्य नकारात्मक स्थानों से दूर रहना चाहिए। नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए और सकारात्मक सोच रखनी चाहिए।मौनी अमावस्या क्यों मनाया जाता है |

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