जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, लखनऊ का 29 वां स्थापना दिवस
तत्स्चात, संस्थान की निर्देशिका डॉ पाठक ने संस्थान के 29 वर्षों की यात्रा का बड़ा ही रोचक विवरण प्रस्तुत किया | अपने उद्बोधन में डॉ० पाठक ने संस्थान द्वारा हासिल की गयी विभिन्न उपलब्धियों के बारे में बताया तथा उन उपलब्धियों की प्राप्ति में संस्थान के सदस्यों के योगदान पर भी प्रकाश डाला।
इस दिन का एक प्रमुख सांस्कृतिक आकर्षण मंत्रमुग्ध कर देने वाला दास्तान-ए-जान-ए-आलम था, जो अवध के अंतिम नवाब, वाजिद अली शाह पर एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित दास्तानगोई कहानी कहने वाला प्रदर्शन था। डॉ. हिमांशु बाजपेयी और डॉ. प्रज्ञा शर्मा के नेतृत्ा में इस सांस्कृतिक प्रतीक की मार्मिक कहानी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
जयपुरिया लखनऊ, डीन रिसर्च डॉ अनुभव मिश्राने संस्थान द्वारा अनुसन्धान तथा नवीन ज्ञान के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों तथा नवाचार के विषय में बताया। डॉ मिश्रा ने नवीन प्रौद्योगिकी को अपनाने के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
डीन स्टूडेंट अफेयर्स डॉ रश्मि चौधरी ने सभी को अवगत कराया कि किस प्रकार संस्थान का प्रमुख उद्देश्य छात्रों का सर्वांगीण विकास है तथा इसके लिए संस्थान द्वारा संचालित विभिन्न सह-अकादमिक कार्यक्रमों के योगदान को उद्धृत किया।
तत्पश्चात संस्थान में कार्यरत संकाय सदस्यों तथा विभागीय प्रतिनिधियोंको उनकी दीर्घकालिक सेवाओं के लिए सम्मानित किया । संस्थान ने इस अवसर पर औद्योगिक जगत के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया तथा उनके सहयोग की सराहना की। यह संस्थाएं विभिन्न माध्यमों से जयपुरिया प्रबंध संस्थान के साथ जुड़कर प्रबन्धन के क्षेत्र को और बेहतर बनाने की दिशा में कार्यरत हैं।
आज के दौर में आर्थिक प्रगति तथा नवाचार में स्ट्रार्ट अप्स के सहयोग को अनदेखा नहीं किया जा सकता है।
जयपुरिया प्रबंध संस्थान भी इन्क्यूबेशन सेण्ट्र के माध्यम से स्टार्टअप्स की प्रगति में अपना योगदान दे रहा है। इस अवसर पर श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले स्टार्टअप्स को भी सम्मानित किया गया।
जयपुरिया प्रबंध संस्थान, प्रबंधन शिक्षा के माध्यम से उद्यमिता को भी प्रसारित कर रहा है, और इसी दिशा में कार्य करते हुए स्थापना दिवस के अवसर पर संस्थान की निदेशिका डॉ० पाठक ने तीन कैंपस वेंचर का उद्घाटन किया।
किसी भी अकादमिक संस्था मेंउसके पूर्व छात्र छात्रों के सहयोग को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। आज जयपुरिया प्रबंध संस्थान जिस स्थान पर भी खड़ा है उसमें उसके पूर्व छात्र-छात्राओं का सहयोग भी है। उनके सहयोग के महत्व को रेखांकित करते हुए संस्थान ने जयपुरिया एलुमनाई एसोसिएशन के प्रतिनिधियों को भी सम्मानित किया।
छात्र-छात्राएं किसी भी एकेडमिक संस्था के आधारभूत तत्वों में से एक होते हैं अतैव यह अत्यंत आवश्यक है कि, छात्र-छात्राओं के उत्कृष्ट प्रदर्शन को पहचान तथा सम्मानित किया जाए। जयपुरिया लखनऊ ने इस अवसर पर अकादमिक क्षेत्र में उत्कर्ष प्रदर्शन कर रहे विभिन्न छात्र - छात्राओं को भी सम्मानित किया।
मुख्य अतिथि, निलेश केसरवानी जो की संस्था के प्रथम बैच के छात्र भी रहे हैं, ने अपने उद्बोधन में अपने छात्र
जीवन की यादें साझा की तथा यह भी बताया कि किस प्रकार जयपुरिया प्रबंधन संस्थान से प्राप्त शिक्षा तथा इसके माध्यम से निर्मित व्यवहार ने हमेशा उनका मार्गदर्शन किया। अपने संबोधन में श्री केसरवानी ने हमेशा सीखते रहने के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि, हमें आगे बढ़ते रहने के लिए सदैव जिज्ञासु बने रहना चाहिए। श्री केसरवानी ने यह भी कहा कि आज की दुनिया में जहां बदलाव के अतिरिक्त कुछ भी स्थिर नहीं है, हमें सदैव खुद को बदलाव के लिए तैयार करते रहना चाहिए। यदि हम आने वाले बदलाव के लिए खुद को तैयार नहीं करेंगे तो भीड़ में कहीं खो जाएंगे या पेशेवर दुनिया में एक इतिहास बनकर रह जाएंगे। बदलाव के तैयार होने में हमें सबसे पहले बदलाव के प्रति एक सकारात्मक सोच रखते हुए तेजी से सीखने की क्षमता विकसित करनी होगी।
श्री केसरवानी ने कहा कि यह सभी गुण सफलता के कारक तभी बन पाएंगे जब हम विनम्र होंगे। विनम्रता के बिना यह सारे गुण बेकार हो जाते हैं तथा हमारी सफलता हेतु सहयोग नहीं कर पाते हैं। अगर आप सभी का साथ चाहते हैं और तेजी से आगे बढ़ते रहना चाहते हैं तो आपको विनम्र होना चाहिए यह गुण न सिर्फ आपको पेशेवर जीवन वरन व्यक्तिगत तथा सामजिक जीवन में भी सफलता प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगा।
इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, सोमित चित्रे जो कि जयपुरिया प्रबंधन संस्थान से वर्ष 2004 बैच के पास
आउट हैं ने अपना उद्बोधन अपने छात्र जीवन की यादों से प्रान्न किया। उन्होंने कहा कि अगर आप जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल होना चाहते हैं तो कुछ भी जबरा मत छोड़िए। आप जो भी कर रहे हैं उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ दीजिए। आपको नहीं पता कि आपके प्रतिस्पर्धी की क्या तैयारी है या वह किस सार पर है। आपको सफल होने के छात्र-छात्राएं किसी भी एकेडमिक संस्था के आधारभूत तत्सों में से एक होते हैं अतैव यह अत्यंत आवश्यक है कि, छात्र-छात्राओं के उत्कृष्ट प्रदर्शन को पहचान तथा सम्मानित किया जाए। जयपुरिया लखनऊ ने इस अवसर पर अकादमिक क्षेत्र में उत्कर्ष प्रदर्शन कर रहे विभिन्न छात्र-छात्राओं को भी सम्मानित किया।
मुख्य अतिथि, निलेश केसरवानी जो की संस्था के प्रथम बैच के छात्र भी रहे हैं, ने अपने उद्बोधन में अपने छात्र जीवन की यादें साझा की तथा यह भी बताया कि किस प्रकार जयपुरिया प्रबंधन संस्थान से प्राप्त शिक्षा तथा इसके माध्यम से निर्मित व्यवहार ने हमेशा उनका मार्गदर्शन किया। अपने संबोधन में श्री केसरवानी ने हमेशा सीखते रहने के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि, हमें आगे बढ़ते रहने के लिए सदैव जिज्ञासु बने रहना चाहिए। श्री केसरवानी ने यह भी कहा कि आज की दुनिया में जहां बदलाव के अतिरिक्त कुछ भी स्थिर नहीं है, में हमें सदैव खुद को बदलाव के लिए तैयार करते रहना चाहिए। यदि हम आने वाले बदलाव के लिए खुद को तैयार नहीं करेंगे तो भीड़ में कहीं खो जाएंगे या पेशेवर दुनिया में एक इतिहास बनकर रह जाएंगे। बदलाव के तैयार होने में हमें सबसे पहले बदलाव के प्रति एक सकारात्मक सोच रखते हुए तेजी से सीखने की क्षमता विकसित करनी होगी।
श्री केसरवानी ने कहा कि यह सभी गुण सफलता के कारक तभी बन पाएंगे जब हम विनम्र होंगे विनम्रता के बिना यह सारे गुण बेकार हो जाते हैं तथा हमारी सफलता हेतु सहयोग नहीं कर पाते हैं। अगर आप सभी का साथ चाहते हैं और तेजी से आगे बढ़ते रहना चाहते हैं तो आपको विनम्र होना चाहिए। यह गुण न सिर्फ आपको पेशेवर जीवन वरन व्यक्तिगत तथा सामजिक जीवन में भी सफलता प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगा।
इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, सोमित चित्रे जो कि जयपुरिया प्रबंधन संस्थान से वर्ष 2004 बैच के पास आउट हैं ने अपना उद्बोधन अपने छात्र जीवन की यादों से प्रारंभ किया। उन्होंने कहा कि अगर आप जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल होना चाहते हैं तो कुछ भी अधूरा मत छोड़िए। आप जो भी कर रहे हैं उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ दीजिज आपको नहीं पता कि आपके प्रतिस्पर्धी की क्या तैयारी है या वह किस स्तर पर है। आपको सफल होने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देना होगा।
अपनी कम्युनिकेशन स्किल्स, ड्रेसिंग स्किल्स और अपने एटीट्यूड पर लगातार काम करते रहें। हमेशा अपने आप से प्रतिस्पर्धाकरें और दिन प्रतिदिन और बेहतर प्रदर्शन करने का प्रयास करें। अगर आपको लगता है कि आपके क्षेत्र विशेष में अच्छा नहीं कर पा रहे हैं तो आपको सबसे पहले उसे कमजोर प्रदर्शन का मुख्य कारण खोजना होगा और उसको कैसे दूर किया जाए, यह जानकर उसे पर लगातार काम करना होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर आप साधारण स्तर से बेहतर जीवन जीना चाहते हैं तो अपने आप को हमेशा नई चीजों के लिए तैयार करते रहो, नई चुनौतियों के लिए तैयार करते रहो और बदलाव के लिए तैयार करते रहो। अगर
आप खुद को आने वाले बदलाव के लिए तैयार नहीं करेंगे तो कोई और आकर आपकी जगह ले लेगा।
यह हमेशा याद रखें कि कभी भी कोई भी अपने आप को प्रूफ करके आपकी जगह ले सकता है। इस डर को अपने मन से निकलने मत दीजिए और अपने आप को बेहतर और बेहतर बनाते जाइए।
उन्होंने अपने उद्बोधन में कृतज्ञता की भी बात की। उन्होंने कहा कि आप जो भी कर पा रहे हैं या हम जो भी कर पा रहे हैं उसके पीछे कई लोगों का योगदान शामिल है। इसमें हमारा परिवार हो सकता है, मित्र हो सकते हैं, समाज होता है, हमारे टीम मेंबर्स होते हैं, हमारे ऑफिस में काम करने वाले अनेक कर्मचारी भी होते हैं। यह सब लोग किसी न किसी सिस्टम से जुड़कर हमारे बेहतर प्रदर्शन के लिए अपना योगदान प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें सदैव उनके प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए और उनके प्रति सम्मानजनक व्यवहार रखना चाहिए।
स्थापना दिवस समारोह ऐसे समय में मनाया जा रहा है जब जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, लखनऊ ने अपनी शैक्षणिक यात्रा में उल्लेखनीय प्रगति की है। हाल ही में, संस्थान ने NIRF 2024 रैंकिंग में एक सराहनीय छलांग लगाई, भारत के शीर्ष बी-स्कूलों में 72वां स्थान हासिल किया, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 20 रैंक की छलांग है। यह मील का पत्थर, संस्थान की NAAC A+ मान्यता के साथ मिलकर प्रबंधन शिक्षा में अग्रणी के रूप में
जयपुरिया की स्थिति को और मजबूत करता है।