विभोर जी में कवि और आचार्य का दुर्लभ मणि-कांचन संयोग था

Vibhor ji was a rare combination of a poet and an Acharya
 
उत्तर प्रदेश डेस्क लखनऊ(आर एल पाण्डेय)। काव्य कला संगम संस्था के तत्वावधान में आचार्य रामदेव लाल विभोर की 87 वीं जन्म जयंती यू पी प्रेस क्लब में बहुत धूमधाम से मनाई गई। समारोह के अध्यक्ष डा हरि शंकर मिश्र ने विभोर जी के छन्द विधान ग्रंथ की प्रशंसा करते हुए उन्हें उच्च कोटि का काव्याचार्य  बताया। मुख्य अतिथि मधुकर अस्थाना ने विभीर जी की काव्य कृतियों और लक्षण ग्रंथों की प्रशंसा करते हुए उनके साहित्यिक अवदान की। 


विशिष्ट अतिथि नरेन्द्र भूषण ने कहा कि विभोर जी के रचना संसार का फलक बहुत व्यापक है। उन्हें हिंदी के छंदों पर जितना अधिकार था उतना ही अधिकार उर्दू के उरूज पर भी था।संस्था के उपाध्यक्ष भोलानाथ 'अधीर' ने समारोह में पधारे साहित्य प्रेमियों का स्वागत करते हुए कहा कि विभोर जी में कवि और आचार्य का दुर्लभ मणि-कांचन संयोग था।


इस अवसर पर लखनऊ नगर के वरिष्ठ कवियों सर्वश्री श्याम श्रीवास्तव, अशोक कुमार पाण्डेय 'अशोक' डॉ. उमाशंकर शुक्ल 'शितिकंठ', कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास' और मधु दीक्षित को आचार्य रामदेव लाल विभोर स्मृति सम्मान - 2024 से सम्मानित किया गया।
अंत में संस्था के महामंत्री राजेश कुमार श्रीवास्तव द्वारा उपस्थित लोगों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन के साथ ही समारोह के समापन की घोषणा की गई।जिन साहित्यकारों को समारोह के दौरान सम्मानित किया गया उनमेंसर्वश्री प्रख्यात नवनीतकार श्याम श्रीवास्तव, प्रख्यात छंदकार अशोक कुमार पाण्डेय 'अशोक', वरिष्ठ साहित्यकार डॉ उमाशंकर शुक्ल 'शितिकंठ',  प्रख्यात गजलकार कृपा शंकर श्रीवास्तव 'विश्वास', प्रख्यात कवियत्री मधु दीक्षित, प्रमुख रहे।

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