जानिए किस कारण माता सीता जी द्वारा मिले श्राप के कारण आज भी तुलसी गया तीर्थ में नहीं उगती

Know why even today Tulsi does not grow in Gaya pilgrimage due to the curse given by Mother Sita Ji 
 Mother Sita Ji.
तब फल्गू नदी, गाय, कौआ, तुलसी और ब्राह्मण पांचों ने प्रभु राम का क्रोध देखकर झूठ बोल दिया कि माता सीता ने कोई पिंडदान नहीं किया है। वटवृक्ष ने सत्य कहा कि माता सीता ने सबको साक्षी मानकर विधि पूर्वक राजा दशरथ का पिंड दान किया है। पांचों साक्षी के झूठ बोलने पर माता सीता ने क्रोधित होकर उन्हें आजीवन श्राप दे दिया |

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यह सुनकर सीता जी की व्यग्रता भी बढ़ती जा रही थी क्योंकि श्री राम और लक्ष्मण अभी नहीं लौटे थे इसी उपरांत दशरथ जी की आत्मा ने उन्हें आभास कराया की पिंड दान का वक़्त बीता जा रहा है यह जानकर माता सीता असमंजस में पड़ गई तब माता सीता ने समय के महत्व को समझते हुए यह निर्णय लिया कि वह स्वयं अपने ससुर राजा दशरथ का पिंडदान करेंगी |

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उन्होंने फल्गू नदी के साथ साथ वहाँ उपसथित वटवृक्ष, कौआ, तुलसी, ब्राह्मण और गाय को साक्षी मानकर स्वर्गीय राजा दशरथ का का पिंडदान पुरी विधि विधान के साथ किया इस क्रिया के उपरांत जैसे ही उन्होंने हाथ जोड़कर प्रार्थना की तो राजा दशरथ ने माता सीता का पिंड दान स्वीकार किया माता सीता को इस बात से प्रफुल्लित हुई कि उनकी पूजा दशरथ जी ने स्वीकार कर ली है |

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माता सीता को इस बात से प्रफुल्लित हुई कि उनकी पूजा दशरथ जी ने स्वीकार कर ली है पर वह यह भी जानती थी कि प्रभु राम इस बात को नहीं मानेंगे क्योंकि पिंड दान पुत्र के बिना नहीं हो सकता है,
थोड़ी देर बाद भगवान राम और लक्ष्मण सामग्री लेकर आए और पिंड दान के विषय में पूछा तब माता सीता ने कहा कि समय निकल जाने के कारण मैंने स्वयं पिंडदान कर दिया प्रभु राम को इस बात का विश्वास नहीं हो रहा था कि बिना पुत्र और बिना सामग्री के पिंडदान कैसे संपन्न और स्वीकार हो सकता है  |

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तब सीता जी ने कहा कि वहाँ उपस्थित फल्गू नदी, तुलसी, कौआ, गाय, वटवृक्ष और ब्राह्मण उनके द्वारा किए गए श्राद्धकर्म की गवाही दे सकते हैं, भगवान राम ने जब इन सब से पिंडदान किये जाने की बात सच है या नहीं यह पूछा, तब फल्गू नदी, गाय, कौआ, तुलसी और ब्राह्मण पांचों ने प्रभु राम का क्रोध देखकर झूठ बोल दिया कि माता सीता ने कोई पिंडदान नहीं किया सिर्फ वटवृक्ष ने सत्य कहा कि माता सीता ने सबको साक्षी रखकर विधि पूर्वक राजा दशरथ का पिंड दान किया पांचों साक्षी द्वारा झूठ बोलने पर माता सीता ने क्रोधित होकर उन्हें आजीवन श्राप दिया  |

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