Pradosha Vart: जानिए क्यों भगवान शिव के लिए रखा जाता है यह व्रत

Pradosha Vart: जानिए क्यों भगवान शिव के लिए रखा जाता है यह व्रत

Pradosha Vart के दिन भक्तजन माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना करते हैं|

डेस्क-हिंदू धर्म में कई त्योहार और व्रत प्रचलित हैं जिनका अपना-अपना महत्व और पूजन विधि है. ऐसे ही एक व्रत है Pradosha Vart| आज 20 दिसंबर गुरुवार को प्रदोष व्रत है. इस व्रत को लोग भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए करते हैं|

ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से भगवान शिव व्रती भक्त की सभी प्रकार की परेशानियों का हरण कर लेते हैं. प्रदोष व्रत के दिन भक्तजन माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त ये व्रत करता है उसे किसी ब्राह्मण को गोदान (गाय का दान) करने के समान पुण्य लाभ होता है|

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आइये जानते हैं Pradosha Vart की महत्व के बारे में

हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कलियुग में जब समाज में हर तरफ कुरीतियों का बोलबाला हो ऐसे समय में यह व्रत अंत्यंत मंगल परिणाम देने वाला होता है. प्रदोष का अर्थ होता है शाम का समय. ऐसा माना जाता है कि शाम के समय प्रदोषकाल में भगवान शिव कैलाश पर्वत के चांदी से बने भवन में तांडव नृत्य करते हैं. इस समय सारे देवी-देवता उनकी आराधना करते हैं|

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प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत को काफी कल्याणकारी माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्तजन इस व्रत को करते हैं उनके सभी प्रकार के रोग-दोष का नाश होता है और उन्हें इसका काफी बड़ा शुभ फल मिलता है|


प्रदोष व्रत की पूजा-विधि


प्रदोष व्रत करने वाले व्रती को इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए. इसके बाद नहा-धोकर पूरे विधि-विधान के साथ भगवान शिव का भजन कीर्तन और पूजा-पाठ करना चाहिए. इसके बाद पूजाघर में झाड़ू-पोछा कर पूजाघर समेत पूरे घर में गंगाजल से पवित्रीकरण करना चाहिए. इसके बाद पूजाघर को गाय के गोबर से लीपना चाहिए.

इस मंत्र का करें जाप


अब केले के पत्तों और रेशमी वस्त्रों की सहायता से एक मंडप तैयार करना चाहिए. अब चाहें तो आटे, हल्दी और रंगों की सहायता से पूजाघर में एक अल्पना (रंगोली) बना लें. इसके बाद साधक (व्रती) को कुश के आसन पर बैठ कर उत्तर-पूर्व की दिशा में मुंह करके भगवान शिव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. व्रती को पूजा के समय 'ॐ नमः शिवाय' और शिवलिंग पर दूध, जल और बेलपत्र अर्पित करना चाहिए|

व्रत का फल


ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त ये व्रत करता है उसे किसी ब्राह्मण को गोदान (गाय का दान) करने के समान पुण्य लाभ होता है|

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