रेलवे में 24 घंटे की घड़ी का उपयोग क्यों किया जाता है जानिए
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24 घंटे के फॉर्मेट में, केवल घंटे और मिनट का उपयोग करके समय को व्यक्त किया जाता है। इससे कोई भ्रम नहीं होता है और समय को दुनिया भर में आसानी से समझा जा सकता है। भारतीय रेलवे ने 1990 के दशक में 24 घंटे के फॉर्मेट को अपनाया। यह एक महत्वपूर्ण बदलाव था लेकिन यह एक ऐसा बदलाव था जो रेलवे के लिए आवश्यक था। 24 घंटे का फॉर्मेट अधिक सटीक और समझने में आसान है, और यह रेलवे को दुनिया भर में बेहतर ढंग से काम करने में मदद करता है।
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अधिक सटीकता: 24 घंटे का फॉर्मेट AM और PM का उपयोग करके 12 घंटे के फॉर्मेट की तुलना में अधिक सटीक है। इससे कोई भ्रम नहीं होता है और समय को दुनिया भर में आसानी से समझा जा सकता है।
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बेहतर समझ: 24 घंटे का फॉर्मेट 12 घंटे के फॉर्मेट की तुलना में समझने में आसान है। इससे रेलवे कर्मचारियों और यात्रियों के बीच गलतफहमी को कम करने में मदद मिलती है।
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अंतरराष्ट्रीय मानक: 24 घंटे का फॉर्मेट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया जाता है। इससे रेलवे को दुनिया भर में बेहतर ढंग से काम करने में मदद मिलती है।