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Bollywood actress who left bollywood : 40 - 50 के दशक की बॉलीवुड Actress सुरैया की जीवनी
Bollywood actress who left bollywood
Biography of suraiya 40 s 50s bollywood heroine
एक ऐसी अभिनेत्री और गायिका की, जिन्होंने 40 और 50 के दशक में हिंदी सिनेमा पर राज किया। उनकी खूबसूरती, उनकी आवाज और उनकी अधूरी लव स्टोरी आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है। हम बात कर रहे हैं सुरैया की! सुरैया, जिन्हें 'मलिका-ए-तरन्नुम' कहा जाता था, एक ऐसी शख्सियत थीं जिनकी जिंदगी फिल्मों से भी ज्यादा ड्रामाटिक थी। तो चलिए, आज हम आपको सुनाते हैं सुरैया के कुछ अनसुने किस्से, जो शायद आपने पहले कभी नहीं सुने होंगे। तैयार हैं? तो चलिए शुरू करते हैं!" "सुरैया का पूरा नाम था सुरैया जमाल शेख। उनका जन्म 15 जून 1929 को लाहौर में हुआ था, जो उस वक्त Undivided भारत का हिस्सा था। जब वो सिर्फ एक साल की थीं, उनका परिवार मुंबई आ गया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सुरैया का फिल्मों में आना एक संयोग था? दरअसल, सुरैया के मामा एम. जहूर उस जमाने के मशहूर विलेन थे। स्कूल की छुट्टियों में सुरैया अक्सर उनके साथ सेट पर जाया करती थीं। एक दिन फिल्म 'ताजमहल' की शूटिंग के दौरान प्रोड्यूसर नानूभाई वकील की नजर उन पर पड़ी। सुरैया की मासूमियत और खूबसूरती ने उन्हें इतना इम्प्रेस किया कि उन्होंने तुरंत सुरैया को मुमताज महल के बचपन का किरदार ऑफर कर दिया।
खैर ये तो बस शुरुआत थी। सुरैया को गाना भी बहुत पसंद था। वो बचपन में रेडियो पर बच्चों के प्रोग्राम में गाना गाया करती थीं। 12 साल की उम्र में उन्होंने फिल्म 'नई दुनिया' के लिए अपना पहला गाना गाया, और उनकी आवाज ने सबको दीवाना बना दिया। ये वो दौर था जब एक्टर्स के लिए प्लेबैक सिंगर्स गाते थे, लेकिन सुरैया अपनी फिल्मों में ज्यादातर खुद ही गाती थीं। बताइये कितना खूबसूरत कॉम्बिनेशन होगा ये!"एक्टिंग के अलावा सुरैया के पास गाने का हुनर भी था। जब नौशाद अली ने 13 साल की सुरैया को गाता हुआ देखा तो वह उनकी गायिकी से इस कदर इंप्रेस हो गए कि उन्हें 'शारदा' में गाने का मौका दिया। वह सुरैया के मेंटर थे। उन्होंने 'तमन्ना', 'स्टेशन मास्टर' और 'हमारी बात' जैसी फिल्मों में चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर काम करने के अलावा इसमें अपनी आवाज भी दी।साल 1945 में फिल्म 'तदबीर' से सुरैया को हीरोइन के रूप में पहला ब्रेक मिला था। वह देव आनंद के साथ 'विद्या', 'जीत', 'अफसर', 'सनम', 'मिर्जा गालिब', 'इशारा' जैसी फिल्मों में एक्ट्रेस ने किया है। सुरैया ने अपने करियर में कुल 67 फिल्में की हैं और 338 गानों को अपनी आवाज दी।
चलिए अब बात करते हैं सुरैया की जिंदगी के सबसे मशहूर और दर्दनाक किस्से की - उनकी और देव आनंद की प्रेम कहानी की। ये कहानी शुरू हुई 1948 में फिल्म 'विद्या' के सेट पर। एक सीन की शूटिंग के दौरान सुरैया को पानी में डूबने का नाटक करना था, लेकिन अचानक उनका पैर फिसल गया और वो सचमुच डूबने लगीं। तभी देव आनंद ने छलांग लगाई और उन्हें बचा लिया। बस, यहीं से दोनों के दिलों में प्यार की चिंगारी जली।देव आनंद अपनी Autobiography 'रोमांसिंग विद लाइफ' में लिखते हैं कि वो सुरैया की सादगी और खूबसूरती के कायल हो गए थे। दोनों ने साथ में कई फिल्में कीं - 'जीत', 'शायर', 'दो सितारे' - और हर फिल्म के साथ उनका प्यार गहरा होता गया। सेट के अलावा देव आनंद उनके घर भी जाते थे। घूमना-फिरना भी सब साथ में ही होता था, मगर कुछ समय बाद उनके इस प्यार को नजर लग गई। उनके रिश्ते की बात सुरैया की नानी को पता चल गई। नानी पुराने ख्यालों वाली थीं। उन्हें बिल्कुल भी मंजूर नहीं था कि सुरैया की शादी किसी गैर धर्म के लड़के से हो क्योंकि देव आनंद हिंदू थे और सुरैया मुस्लिम।। ऐसे में उन्होंने देव आनंद का आना-जाना बंद करा दिया। इस घटना के बाद नानी हर वक्त सुरैया के साथ रहती थीं। 1950 में देव आनंद और सुरैया ने साथ में दो और फिल्में सनम और जीत साइन की, लेकिन नानी सेट पर भी सुरैया को अकेला नहीं छोड़ती थीं, ताकि देव आनंद उनसे बात ना कर पाएं। साथ ही दोनों के रोमांटिक सीन्स को भी डायरेक्टर से हटाने के लिए कहती थीं। फोन पर भी बात नहीं हो पाती थी इसलिए दोनों खत के जरिए बात किया करते थे।
1949 में जीत की शूटिंग के दौरान देव आनंद सुरैया के साथ भागकर शादी करने को तैयार थे, लेकिन नानी को ये बात पता चल गई। परिवार के खिलाफ सुरैया नहीं जाना चाहती थीं इसलिए उन्होंने शादी के लिए मना कर दिया और देव आनंद से हमेशा के लिए दूरी बना ली। आखिरकार, दोनों अलग हो गए। देव आनंद ने बाद में कल्पना कार्तिक से शादी कर ली, लेकिन सुरैया ने अपने प्यार की लाज रखी और जिंदगी भर अकेली रहीं। कहते हैं कि वो अक्सर अकेले में देव आनंद को याद करके रोया करती थीं।"सुरैया खुद तो ताउम्र देव आनंद के प्यार में रहीं, लेकिन उन्हें चाहने वाले सैकड़ों थे। राइटर इस्मत चुगताई के मुताबिक, एक दोपहर एक बारात आकर सुरैया के घर के बाहर रुक गई। दरवाजा खोलने पर उनका परिवार भौचक्का रह गया। वहां एक सजा-धजा दूल्हा सेहरा बांधे हुए बारातियों के साथ खड़ा था। उन लोगों के पास गहनों और कपड़ों से भरी थालियां भी थीं। परिवार वालों ने उस शख्स से पूछा- आप कौन? जवाब में उस शख्स ने कहा- मैं दूल्हा।ये सुन परिवार के एक सदस्य ने कहा- क्या बात कर रहे हो भाई, दुल्हन कौन?शख्स ने अकड़ के साथ कहा- सुरैया जबीन दुल्हन हैं, बारात जालंधर से आई है।इतना कहने के बाद वो शख्स बारातियों के साथ घर में घुसने की कोशिश करने लगा। ये पागलपन देख सुरैया ने झट से खुद को बेडरूम के अंदर बंद कर लिया और रोने लगीं। जबकि, उनकी मां बिल्कुल हैरान थीं कि वो लोग दो लाख के गहने और कई महंगे कपड़े साथ लाए थे।
मां ने उस शख्स से कहा- हमें इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है और आप लोग को चले जाना चाहिए। इसके बावजूद वो लोग अपनी जिद पर अड़े रहे और धमकी देने लगे। हालात खराब होने पर फोर्स तैनात करनी पड़ी थी। तब जाकर मामला शांत हुआ। ये मामला तो शांत हो गया लेकिन सुरैया के फैंस का दीवानापन यही नहीं रुका एक किस्सा यह भी था कि एक फैन कई दिन से सुरैया को धमकी दे रहा था। उसका कहना था कि अगर उन्होंने शादी के लिए हामी नहीं भरी तो वो छत से कूदकर अपनी जान दे देगा। जब सुरैया ने इस पर ध्यान नहीं दिया, तो उस शख्स ने जहर खा लिया।और फिर से मामले को संभालने के लिए पुलिस बुलानी पड़ी।सिर्फ फैंस ही नहीं 40 के दशक में हर एक्टर और डायरेक्टर की इच्छा थी कि वो बस एक बार सुरैया के साथ काम कर ले। इस लिस्ट में दिलीप कुमार का नाम भी शामिल था। इसके लिए उन्होंने डायरेक्टर के. आसिफ से बात की थी कि वो उनके और सुरैया के साथ एक फिल्म बनाएं। सुरैया के साथ काम करने को के. आसिफ भला कैसे मना कर सकते थे। उन्होंने भी हामी भर दी और दोनों को लेकर फिल्म जानवर की अनाउंसमेंट कर दी। सब कुछ तय हो गया, फिल्म की शूटिंग भी शुरू हो गई। तभी फिल्म के एक सीन के शूट के दौरान बवाल मच गया। सीन के मुताबिक, सुरैया के पैर पर एक सांप काट लेता है और दिलीप कुमार को उनकी जान बचाने के लिए पैर से चूसकर जहर बाहर निकालना था। वो सीन एक बार में ही परफेक्ट तरीके से शूट कर लिया गया, लेकिन उसी सीन को फिर से कई बार शूट किया जाता रहा, जिससे सुरैया परेशान हो गईं। ये बात उनके मामा को भी पता चल गई।
अगले दिन जब वो सेट पर पहुंचीं तो फिर से उसी सीन को शूट करने के लिए कहा गया। इस बार जैसे ही दिलीप कुमार सुरैया के पैर से जहर चूसकर निकालने की कोशिश करने लगे तो सुरैया ने अपना पैर खींच लिया और उठ खड़ी हुईं। वो दिलीप कुमार से गुस्सा हो गईं। इसी बीच सुरैया के मामा भी आ गए और उन्होंने भी दिलीप कुमार को मारने की कोशिश की, लेकिन के. आसिफ बीच में आ गए। इस घटना के बाद सुरैया ने तय कर लिया कि वो कभी भी दिलीप कुमार के साथ किसी भी फिल्म में काम नहीं करेंगीं। सुरैया के इस फैसले से के.आसिफ बहुत नाराज हो गए थे। उन्होंने कहा कि फिल्म पर उन्होंने इतना पैसा लगाया है उसकी भरपाई कौन करेगा। तब सुरैया ने एक चेक भरकर के. आसिफ को दिया और तुरंत ही गुस्से में सेट से निकल गईं। उस दिन के बाद वो फिल्म फिर कभी पूरी नहीं हुई।
"सुरैया की शोहरत सिर्फ हिंदुस्तान तक सीमित नहीं थी। हॉलीवुड के मशहूर एक्टर ग्रेगरी पेक भी उनके फैन थे। एक बार जब ग्रेगरी भारत आए, तो उन्होंने सुरैया से मिलने की इच्छा जताई। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रेगरी रात के 11 बजे सुरैया के घर पहुंच गए। दरवाजा खटखटाया, सुरैया की मां ने दरवाजा खोला। ग्रेगरी ने पूछा, 'सुरैया कहां हैं, मैडम?'जब सुरैया को पता चला कि ग्रेगरी पेक उनसे मिलने आए हैं, तो वो खुशी से झूम उठीं। दोनों ने करीब एक घंटे तक बात की। सोचिए, उस जमाने में हॉलीवुड का इतना बड़ा स्टार सुरैया से मिलने उनके घर पहुंच जाए - ये उनकी लोकप्रियता का सबूत था!"सुरैया की खूबसूरती और टैलेंट के दीवाने सिर्फ आम लोग ही नहीं, बल्कि बड़े-बड़े सितारे भी थे। मशहूर एक्टर धर्मेंद्र ने एक इंटरव्यू में बताया कि वो सुरैया के इतने बड़े फैन थे कि उनकी फिल्म 'दिल्लगी' को 30 से ज्यादा बार देख चुके थे। धर्मेंद्र आज भी सुरैया को अपनी फेवरेट एक्ट्रेस मानते हैं।कहते हैं कि उस जमाने में सुरैया के फैंस उनके घर के बाहर घंटों खड़े रहते थे, सिर्फ उनकी एक झलक पाने के लिए। उनकी लोकप्रियता का आलम ये था कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी उनकी फिल्मों के मुरीद थे। एक बार नेहरू ने खुद सुरैया से कहा था कि उन्हें उनकी फिल्में बहुत पसंद हैं।"
वैसे "सुरैया का करियर जितना शानदार था, उनकी पर्सनल लाइफ उतनी ही तन्हा रही। देव आनंद से अलग होने के बाद उन्होंने कभी शादी नहीं की। 1960 के दशक के बाद वो फिल्मों से भी दूर हो गईं। वो मुंबई में अपने अपार्टमेंट में अकेले रहती थीं। जिंदगी के अंतिम छह महीनों के दौरान सुरैया अपने वकील धीमंत ठक्कर के परिवार के साथ रहीं, जिन्होंने बीमार होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। वो हाइपोग्लाइसीमिया जैसी कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित थीं, जिस वजह से 31 जनवरी 2004 को 74 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। अंतिम यात्रा में शामिल हुए सभी लोगों की आंखें देव आनंद को ढूंढ रही थीं, लेकिन वो नहीं आए।देश की आजादी से दो साल पहले हिंदी सिनेमा में बतौर लीड एक्ट्रेस डेब्यू करने वाली सुरैया के असर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दशकों बाद आज भी उनकी बातें होती हैं। सिनेमा में कई कलाकार आए और गए, लेकिन कुछ चुनिंदा सितारे रहे, जो इस दुनिया में न होकर भी सिनेमा की जड़ों से जुड़ गए। इनमें एक नाम सुरैया का भी है। उनकी यादें आज भी जिंदा हैं। उनकी आवाज, उनकी अदाकारी और उनकी अधूरी प्रेम कहानी - ये सब आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई है।"