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द्वितीय दिन : मां ब्रह्मचारिणी की पूजा कैसे करें?

Second day: Worship Mother Brahmacharini
 

brahmacharini mata :मां ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है। यह देवी तपस्या और संयम की प्रतीक मानी जाती हैं। उनकी पूजा करने से व्यक्ति को आत्मसंयम, ज्ञान और तपस्या की शक्ति प्राप्त होती है।

 

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि:

  1. स्नान एवं संकल्प:

    • प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

    • पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।

    • मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करके व्रत और पूजा का संकल्प लें।

  2. मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

  3. आवाहन एवं ध्यान:

    • देवी का ध्यान करें और उन्हें आमंत्रित करें।

    • "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः" मंत्र का जप करें।

  4. पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करें:

    • अक्षत, पुष्प, कुमकुम, चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।

    • अर्ध्य और जल चढ़ाएं।

  5. मंत्र जाप:

    • "ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।

    • दुर्गा सप्तशती या ब्रह्मचारिणी स्तोत्र का पाठ करें।

  6. आरती करें:

    • मां की आरती गाकर पूजा को पूर्ण करें।

    • कपूर जलाकर दीप आरती करें।

  7. प्रसाद वितरण:

    • माता को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग लगाएं।

    • घर के सभी सदस्यों में प्रसाद बांटें।

  8. व्रत कथा सुनें:

    • मां ब्रह्मचारिणी की कथा का श्रवण करें।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में विशेष ध्यान दें:

  • मां ब्रह्मचारिणी को श्वेत वस्त्र, चमेली के फूल और मिश्री अर्पित करना शुभ माना जाता है।

  • इस दिन साधक को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

  • मानसिक और आत्मिक शुद्धता बनाए रखें।

ब्रह्मचारिणी माता को क्या चढ़ाना चाहिए?

मां ब्रह्मचारिणी को पूजन में साधा और सात्त्विक वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए। उनकी पूजा में स्वेत (सफेद) चीजों का विशेष महत्व होता है, क्योंकि वे तपस्या, संयम और ज्ञान की देवी हैं।

ब्रह्मचारिणी माता को चढ़ाने योग्य सामग्री:

  1. फूल – चमेली, बेलपत्र, दूर्वा और श्वेत रंग के फूल चढ़ाना शुभ माना जाता है।

  2. भोग

    • मिश्री

    • चीनी

    • शक्कर

    • पंचामृत

    • दूध से बनी मिठाइयाँ

  3. वस्त्र – माता को सफेद या हल्के रंग के वस्त्र अर्पित करना शुभ होता है।

  4. सिंदूर और चंदन – हल्दी-कुमकुम और चंदन का तिलक करें।

  5. धूप-दीप – कपूर, घी का दीपक और अगरबत्ती जलाकर पूजन करें।

  6. माला – रुद्राक्ष या कमल गट्टे की माला चढ़ाना उत्तम माना जाता है।

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