दूषित चंद्रमा कैसे बनता है मानसिक तनाव का कारण 

Moon

 आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में, शारीरिक सेहत के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी बेहद महत्वपूर्ण है। आधुनिक समय में वयस्कों के साथ बच्चों में भी अवसाद और तनाव जैसी समस्याएं उभर कर आ रही हैं।

डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याएं अनेक कारकों से प्रेरित हो सकती हैं, जैसे कि जीवनशैली, पारिवारिक परिस्थितियाँ, वातावरण, व्यक्तिगत इतिहास,     न्यूरोकेमिकल असंतुलन आदि इसलिए, एक व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को समझने के लिए एक व्यापक मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और वातावरणीय अध्ययन की आवश्यकता होती है। इसलिए, इस बात से नकारा नहीं जा सकता कि मनोवैज्ञानिक रूप से डिप्रेशन का इलाज़ कराया जाये अन्यथा लम्बे समय तक अगर इस समस्या को अनदेखा किया जाए तो यह एक गंभीर बिमारी का रूप ले लेती है, परन्तु साथ ही साथ अगर ज्योतिषीय समाधान ढूंढ लिया जाये तो स्तिथि में सम्भ्वतय बहुत सुधार हो जाता है।

ज्योतिषी रजत जी बताते हैं कि मन का कारक चन्द्रमा है। चंद्रमा मानसिक स्वास्थ्य, भावना, भावुकता और भावनात्मक प्रकृति के साथ जुड़ा है। इसलिए कुंडली में चन्द्रमा की दोषपूर्ण स्थिति जीवन में अवसाद और तनाव जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्या को पैदा करती है, जो जातक को निराशावाद बनाती है और जीवन में असामान्य रूप से उदासी और निराशा का अनुभव होता रहता है।

जातक इस कदर नकारात्मक हो जाता है कि उसे आत्महत्या जैसे विचार घेर लेते है और नींद की समस्या, आकर्षण की कमी, ध्यान केंद्रित नहीं कर पाना, स्वभाव में बदलाव, शारीरिक असंतुलन जैसी समस्याएं जीवन में बढ़ती चली जाती है। 

ज्योतिषी रजत सिंगल दूषित चंद्रमा कैसे बनता है मानसिक तनाव का कारण 
1) छठे, आठवें और बारहवें भाव का चन्द्रमा व्यक्ति को मानसिक असुंतलन देता है और जातक के उदास होने की संभावना अधिक होती है क्योंकि चंद्रमा इन घरों में दुखी होता है। 
2) यदि चंद्रमा वृष राशि में उच्च का है, जहां बुद्धि स्थिर है, तो यह समस्या पैदा नहीं कर सकता है। लेकिन यदि चंद्रमा नीच का हो और शनि, राहु और केतु के साथ बैठे तो यह अवसाद का कारण बन सकता है।
3) शनि अलगाव का कारक है, चन्द्रमा का शनि के साथ बैठना व्यक्ति के मन को भारीपन की भावना में डालकर व्यक्ति को अवसादग्रस्त बना देता है।
4) एक अच्छा बृहस्पति व्यक्ति को अवसाद और जीवन पर कई बुरे प्रभावों से बचाता है। चंद्रमा और गुरु की राहु के साथ युति चंद्र ग्रहण दोष और गुरु चांडाल दोष को उत्पन्न करती है जो जातक के जीवन में मानसिक रूप से उथल -पुथल का कारण बनती है। 
5) केतु एक बिना सिर वाली आकृति है जो हमें इस बात पर विचार करने के लिए मजबूर करती है कि इस दुनिया से परे क्या है; जब चंद्रमा केतु के साथ होता है तो यह आध्यात्मिकता, शून्यता और भौतिकवादी दुनिया में रुचि को कम कर देता है। 
6) बृहस्पति जीवन को ज्ञान, आशा और प्रेरणा देता है। नीच का चंद्रमा, बुध और गुरु की युति, गुरु का राहु से पीड़ित होना जीवन में अवसाद का कारण बन सकता है। 
7) अश्लेषा नक्षत्र में भावनात्मक रूप से अशांति और विशाखा नक्षत्र में ईर्ष्या की समस्याओं के कारण चंद्रमा अपनी मानसिक शांति खो देता है। 
8) इन युति में बृहस्पति की कोई भी दृष्टि व्यक्ति को जीवन के प्रति आशावान और प्रेरित बनाती है। इसलिए यदि हम जीवन में सुख चाहते हैं तो हमें बृहस्पति ग्रह का सम्मान करने का प्रयास करना चाहिए।

मानसिक तनाव से बचने के लिए करें रजत सिंगल जी के कुछ सरल उपाय

1) जातक को चांदी के बर्तनों में खिलाया-पिलाया जाए, यदि आर्थिक रूप से सम्पन्न न हो तो कम से कम चांदी की चम्मच या गिलास का प्रयोग करें।
2) जन्म कुंडली में चन्द्रमा खराब हो तो अन्नप्राशन में चांदी की कटोरी-चम्मच से या चांदी के सिक्के से खीर खिलाएं।
3) हर सोमवार शिवलिंग पर जलाभिषेक करें।जातक को पूर्णिमा का व्रत करना चाहिए, और अगर बच्चे डिप्रेसिव रहते हैं तो उनकी मां पूर्णिमा का व्रत रख सकती है, साथ ही बच्चे को गाय के दूध में पानी मिलाकर चंद्र देव को अर्घ्य देना चाहिए.
4) पूर्णिमा के दिन ज्योत्स्ना स्नान अर्थात चांदनी रात में चंद्रमा के सामने बैठना चाहिए. पहले के समय में चंद्रमा त्राटक क्रिया करी जाती थी जिसमें चंद्रमा को एकटक देखना होता है। रोज चंद्रोदय के बाद ये क्रिया की जाती है। ऐसा करने से एकाग्रता के साथ ही स्वभाव में शीतलता आती है।
5) ज्योतिषीय सलाह से मोती धारण करना चाहिए. मोती से मन बहुत बलवान होता है. 
6) मोती भस्म शहद में मिलाकर चटा देने से घबराहट और डिप्रेशन की समस्या समाप्त हो जाती थी. मोती से संबंध बनाने से मन में आशा और प्रसन्नता का संचार होता है.
7) शनिवार और अमावस्या के दिन तेल, जूते-चप्पल, लकड़ी का पलंग, छाता, काले कपड़े और उड़द की दाल का दान करने से कुंडली में मौजूद शनि दोष खत्म हो जाता है। इतना न कर सके तो, शनिवार या अमावस्या के पीपल की जड़ में काले तिल का पानी जरूर दे

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