बिहार में जातिगत जनगणना पर मुखर राहुल गांधी ने बढ़ायी तेजस्वी की मुश्किलें

Rahul Gandhi, who is vocal on caste census in Bihar, increased the problems of Tejashwi
 
बिहार में जातिगत जनगणना पर मुखर राहुल गांधी ने बढ़ायी तेजस्वी की मुश्किलें
(कुमार कृष्णन -विनायक फीचर्स)  संविधान सुरक्षा सम्मेलन के बहाने राहुल गांधी ने बिहार में चुनावी बिगुल फूंक दिया है। बिहार में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। बिहार विधानसभा चुनाव समय पर होंगे, यह तय है। सत्ता और विपक्ष अब दोनों ने इसकी पुष्टि कर दी है। बिहार में चुनावी माहौल के बीच जातिगत जनगणना पर राहुल गांधी के बयान से राजनीतिक तापमान गरमा गया है।

बिहार में जातिगत जनगणना पर मुखर राहुल गांधी ने बढ़ायी तेजस्वी की मुश्किलें

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बिहार में जातीय जनगणना को फर्जी करार दिया, जिससे तेजस्वी यादव और राजद के लिए नई मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार राहुल गांधी संविधान सुरक्षा सम्मेलन को संबोधित करने बिहार पहुंचे। उन्होंने कांग्रेस मुख्यालय में पहुंचकर चुनावी साल में अपने कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र देने के साथ उत्साह भी बढ़ाया। तेजस्वी यादव ने भले ही इंडिया गठबंधन को लोकसभा चुनाव तक सीमित रहने का बयान दिया था, लेकिन राहुल गांधी ने  साफ कर दिया कि बिहार में इंडिया गठबंधन के तहत ही चुनाव लड़ा जाएगा पर अब राहुल गांधी ने बिहार की जातीय जनगणना को फेक बताकर एक नए विवाद को जन्म दे दिया है।


राहुल गांधी ने जातीय जनगणना की मांग को दोहराते हुए स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी इसे किसी भी कीमत पर करवाकर रहेगी। उन्होंने बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना को ‘फर्जी' बताया और कहा कि यहां लोगों को बेवकूफ बनाया गया।
बिहार में सीट बंटवारे को लेकर आरजेडी और कांग्रेस के बीच पिछले दिनों काफी तल्खियां बढ़ी रहीं। लालू ने ममता बनर्जी को इंडिया ब्लॉक का नेता बनाने की वकालत की तो तेजस्वी ने इंडिया गठबंधन को सिर्फ लोकसभा चुनाव तक सीमित रहने की बात की। इन सबके बीच राहुल गांधी से तेजस्वी यादव कुछ सेकेंड के लिए मिले और लालू यादव से मिलने के लिए आवास आने का आमंत्रण दिया।


बहरहाल राहुल गांधी,लालू यादव से मिलने उनके आवास भी पहुंच गए। साथ में शाम की चाय पी और चाय पर चर्चा भी हुई।तेजस्वी यादव भले ही इंडिया गठबंधन के लोकसभा चुनाव तक सीमित होने की बात कह चुके हैं लेकिन राहुल गांधी ने कांग्रेस मुख्यालय में ऐलान कर दिया कि बिहार में चुनाव इंडिया गठबंधन के तहत ही लड़ा जाएगा।इधर राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने भी साफ कर दिया है कि महागठबंधन यह विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लक्ष्य के साथ लड़ेगा। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 2024 के लोकसभा चुनाव में जातीय जनगणना को मुख्य मुद्दा बनाया था। तेजस्वी यादव ने बार-बार दावा किया था कि उनकी कोशिशों की वजह से ही बिहार में जातीय जनगणना संभव हो पाई। तेजस्वी ने इसे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपनी रणनीति का अहम हिस्सा बनाया था। तेजस्वी ने कहा था, 'हमने विकास के साथ-साथ जाति आधारित गणना कराई और आरक्षण की सीमा भी बढ़ाई। हमने जो कहा, वह किया।


  बिहार चुनाव में जातीय जनगणना को तेजस्वी यादव के बड़े 'चुनावी हथियार' के रूप में देखा जा रहा था। माना जा रहा था कि जातीय जनगणना तेजस्वी की रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा थी। अब उसी हथियार की 'धार' को राहुल गांधी ने 'कुंद' कर दिया है। राहुल गांधी ने कहा कि बिहार में हुई जातीय जनगणना फर्जी थी। बिहार, लंबे अरसे से सामाजिक न्याय की लड़ाई का केंद्र है। भाजपा की शुरू से कोशिश रही है कि बिहार और उत्तर प्रदेश में विपक्ष कमजोर रहे। बिहार आकर राहुल गांधी ने यह संदेश देने की  कोशिश की कि सामाजिक न्याय की ताकत कमजोर नहीं हुई हैं, बल्कि पहले की तरह एकजुट है। बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण और राजनीतिक गठबंधन की साख पर राहुल गांधी की यह यात्रा क्या असर डालेगी, यह देखना दिलचस्प होगा।
पटना में 'संविधान सुरक्षा सम्मेलन' में बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा कि हम चाहते थे कि जैसे हर जगह गंगा का पानी बहता है, वैसे ही संविधान की विचारधारा भी देश के हर व्यक्ति, हर संस्था तक पहुंचे। 


राहुल ने कहा कि जैसे हमारा संविधान इस हॉल के कोने-कोने तक पहुंच गया। वैसे ही हम संविधान को हिंदुस्तान के कोने-कोने तक पहुंचाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि संविधान सिर्फ किताब नहीं है। इस किताब में हजारों साल की सोच है। इसमें हिंदुस्तान की सोच है। इस संविधान में भगवान बुद्ध, नारायण गुरु जी, बसवन्ना जी, फुले जी, गांधी जी, अंबेडकर जी की आवाज है। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, इसमें दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों के साथ हुए अन्याय का दुख-दर्द भी है। हमारे संविधान ने इस दर्द को कम करने का काम किया है। 


हम जाति जनगणना की अपनी मांग पर कायम रहेंगे, यह विकास योजनाओं के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों और दलितों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व तो मिला लेकिन उनके पास कोई शक्ति नहीं है। जातीय जनगणना का श्रेय लेने की होड़ तेजस्वी यादव और एनडीए के बीच पहले से ही चल रही थी। 2020 में एनडीए सरकार ने जातीय जनगणना कराने का निर्णय लिया था। बाद में, नीतीश कुमार के  महागठबंधन में आने के बाद यह प्रक्रिया पूरी हुई और रिपोर्ट भी जारी हुई।अक्टूबर 2023 में आनन-फानन में आरक्षण की सीमा बढ़ाई गई, लेकिन हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस रोक को हटाने से इनकार कर दिया। तेजस्वी यादव लगातार भाजपा को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते रहे।अब राहुल गांधी का यह बयान राजद के लिए यह चुनौती बन सकता है। एनडीए इस बयान को तेजस्वी के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकता है। बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से महत्वपूर्ण भूमिका  निभाते हैं। बिहार की राजनीति के जानकार मानते हैं कि जातीय जनगणना के आंकड़े और आरक्षण का मुद्दा 2025 के चुनाव में असर डालेंगे।

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