घर की दरिद्रता को कैसे दूर करें? || Ghar Ki Daridrata Dur Karne Ke Liye Ramayan Ki 8 Choupai
घर की दरिद्रता दूर करने वाली रामायण की 8 चौपाई || Ghar Ki Daridrata dur karne Ke Liye Ramayan ki 8 Choupai
1.
श्री राम जय राम जय जय राम।
जय राम जय राम जय जय राम।।
2.
सीता राम राम राम सीता।
हृदय बसे राम जय जय सीता।।
3.
जय लक्ष्मी वरदायिनी सीता।
जय जय जय सीता रमा रमा।।
4.
जय राम रघुवीर समर्थ।
जय जय जय रघुवीर समर्थ।।
5.
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करो भगवान किशोरी।।
6.
दोष नसन मिटावै सब पीड़ा।
हरि को भजे सो हरि की सीता।।
7.
धन धान्य सुख संपदा होय।
जनम जनम के दुख मिट जाय।।
8.
अष्ट सिद्धि नव निधि की दाता।
कहौं तुम्हारी महिमा अपार।।
इन चौपाइयों का पाठ नियमित रूप से सुबह या शाम को करें।
दरिद्रता दूर करने के लिए क्या करना चाहिए?
दरिद्रता को दूर करने के लिए कई उपाय हैं।
शिक्षा और प्रशिक्षण: शिक्षा और प्रशिक्षण का महत्व अत्यंत उच्च है। यह लोगों को नौकरी प्राप्त करने और अधिक आय कमाने के लिए साधन प्रदान करता है।
सामाजिक सुरक्षा योजनाएं: सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना और उन्हें जागरूक करना भी एक तरीका है। इससे लोगों को आर्थिक सहारा मिलता है और वे अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकते हैं।
रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देना: सरकार को नौकरियों के अधिक अवसर प्रदान करने, उद्यमिता को बढ़ावा देने और व्यवसाय करने के लिए उत्तेजित करने की आवश्यकता है।
गरीबी मुक्त अधिकारी: गरीबी मुक्त अधिकारी कार्यक्रमों के द्वारा गरीबों को आर्थिक संबल प्रदान किया जा सकता है। इसमें उद्यमिता का बढ़ावा और सामाजिक सुरक्षा के लिए योजनाएं शामिल हो सकती हैं।
गरीबों को वित्तीय सहायता प्रदान करना: गरीबों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के माध्यम से उन्हें आर्थिक समानता में सहायता मिलती है। इसमें निःशुल्क शिक्षा, आर्थिक सहायता योजनाएं, आदि शामिल हो सकती हैं।
गरीबी की जड़ों का सामाजिक रूप से समाधान: गरीबी की जड़ों को समाधान करने के लिए समाज में समानता, न्याय और समाजिक न्याय के प्रति ध्यान देना आवश्यक है।
दरिद्रता कैसे वास्तु है?
धन की कमी: दरिद्रता की सबसे मुख्य पहचान धन की कमी होती है। इसमें व्यक्ति या परिवार के पास पर्याप्त धन नहीं होता है जिससे वे अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा कर सकें।
आय कमी: अगर किसी व्यक्ति की आय उनकी आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होती है, तो वह दरिद्रता के अन्तर्गत आ सकता है।
संसाधनों की कमी: दरिद्रता में यह भी शामिल होता है कि व्यक्ति या समूह के पास आवश्यक संसाधनों की कमी होती है, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, आदि।
सामाजिक और मानसिक प्रभाव: दरिद्रता का असर समाजिक और मानसिक स्तर पर भी होता है। इसके कारण व्यक्ति या परिवार की आत्मसम्मान, सामाजिक स्थिति, और मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ सकता है।