Ravivar Vrat Vidhi: क्यों रखा जाता है रविवार का व्रत? जानें पूजा विधि, महत्व और व्रत कथा

Ravivar Vrat Vidhi: हिंदू धर्म में सूर्य को देवता मानकर उनकी पूजा की जाती है. रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है. इस दिन प्रभाकर की पूजा से बहुत बाधाएं आपके जीवन से दूर हो जाती हैं.
Ravivar Vrat Vidhi

Ravivar Vrat Vidhi: हिंदू धर्म में सूर्य को देवता मानकर उनकी पूजा की जाती है. रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है. इस दिन प्रभाकर की पूजा से बहुत बाधाएं आपके जीवन से दूर हो जाती हैं. आइए जानते हैं रविवार पूजा विधि, कथा और महत्व के बारे में.

Ravivar Vrat Vidhi: हिंदू धर्म में प्रत्येक दिन का अलग महत्व है. हिंदू धर्म हर दिन किसी न किसी भगवान की पूजा की जाती है. सूर्य देव हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण देवता हैं. रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है. इस दिन उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. साथ ही सूर्य को प्रसन्न करने लिए उनका व्रत रखा जाता है. सूर्य देव एकमात्र ऐसे भगवान हैं जिनके साक्षात दर्शन होते हैं. धार्मिक जानकारों का कहना है कि जो भी व्यक्ति रविवार का व्रत रखता है उसे भगवान सूर्य की कृपा से कभी कोई रोग नहीं होता है. जीवन में खुशहाली आती है साथ उसकी शरीर में एक तेज की उत्पत्ति होती है.

रविवार व्रत का महत्व

Ravivar Vrat Mahatwa: सनातन परंपरा के अनुसार जीवन में सुख-समृद्धि, यश, वैभव आदि पाने के लिए सूर्य की पूजा और व्रत करना बेहद शुभ और फलदायी होता है. रविवार का व्रत रखने से सुखी और स्वस्थ्य जीवन मिलता है. समाज में अच्छा सम्मान प्राप्त होता है. ऐसा माना जाता है कि सूर्य पूजा से कुंडली के सभी दोष दूर हो जाते हैं. साथ ही सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है.

रविवार पूजा विधि

Ravivar Pooja Vidhi: रविवार के दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर सबसे पहले तांबे के लोटे में जल लेकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें. इसके बाद पूजा स्थल लाल रंग के बिछौने में बैठकर भगवान सूर्य की पूजा आरंभ करें। पूजा के समय आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करें। फिर सूर्य देव के बीज मंत्र की पांच माला का जाप करें। अंत में भगवान भास्कर की कथा के साथ उन्हें अक्षत, धूप, घी का दीया और लाल फूल अर्पित करें। सूर्य भगवान को लाल चंदन अर्पित कर उसे माथे पर प्रसाद के रूप में लगाना चाहिए। और उनकी परिक्रमा कर आशीर्वाद लेना चाहिए।

सूर्यदेव व्रत कथा

Ravivar Vrat Katha: यह बहुत पुरानी बात है. एक बूढ़ी औरत थी जो नियमित रूप से रविवार के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त होकर अपने आंगन को गोबर से लीपती थी जिससे वो स्वच्छ हो सके। इसके बाद वो सूर्य देव की पूजा करती थी। साथ ही रविवार व्रत की कथा भी सुनती थी। इस दिन वो एक ही बार भोजन करती थी. सूर्य देव उस बूढ़ी औरत से बेहद प्रसन्न थे। उनके आशीर्वाद से कि उसे किसी भी तरह का कष्ट नहीं था और वो धन-धान्य से परिपूर्ण थी।

लेकिन जब उसकी पड़ोसी औरत ने यह सब देखा कि वो बहुत सुखी जीवन जी रही है तो वो उससे जलने लगी। बूढ़ी औरत के घर में गाय नहीं थी इसलिए वो अपनी पड़ोसन के आंगन से गाय का गोबर लेकर अपना आंगन लीपती थी। पड़ोसन ने बूढ़ी औरत को परेशान करने के लिए एक दिन गाय को घर के अंदर बांध दिया। जिससे रविवार के दिन बूढ़ी औरत को आंगन लीपने के लिए गोबर नहीं मिला। इसी के चलते उसने सूर्य देवता को भोग भी नहीं लगाया। साथ ही खुद भी भोजन नहीं किया और पूरे दिन भूखी-प्यासी रही और फिर सो गई।

अगले दिन जब बूढ़ी औरत सुबह उठी को उसने देखा कि उसके आंगन में एक सुंदर गाय और एक बछड़ा बंधा हुआ था। बूढ़ी औरत गाय को देखकर दंग रह गई। उसने गाय को चारा खिलाया। उसकी पड़ोसन यह सब देखकर और भी ज्यादा उससे जलने लगी. पड़ोसन ने उसकी गाय के पास सोने का गोबर पड़ा देखा तो उसने गोबर को वहां से उठाकर अपनी गाय के गोबर के पास रख दिया।

सोने के गोबर से पड़ोसन कुछ ही दिन में धनवान हो गई। यह सब कई दिनों तक चलता रहा। कई दिनों तक बूढ़ी औरत को सोने के गोबर के बारे में कुछ पता नहीं था। लेकिन एक दिन सूर्यदेव को पड़ोसन की चालाकी का पता चला। तब उन्होंने तेज आंधी चला दी। तेज आंधी को देखकर बूढ़ी औरत ने अपनी गाय को अंदर बांध दिया। अगले दिन जब वह उठी तो उसने सोने का गोबर देखा। वह स्तब्ध रह गई.

तब से उसने गाय को अंदर बांधना शुरू कर दिया। कुछ ही दिन में वह बहुत धनवान हो गई। उसका सुख देख पड़ोसन और जलने लगी। पड़ोसन ने अपने पति को समझाकर उसे नगर के राजा के पास भेजा। जब राजा ने उस सुंदर गाय को देखा तो वो बहुत खुश हुआ। सोने के गोबर को देखकर तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा और उसने गाय को राजमहल में रखने का आदेश दिया। इसके बाद नगर सैनिकों ने गाय को राजमहल में बांध दिया।

सुबह जब राजा ने सोने का गोबर देखा तो उसके आश्चर्यचकित रह गया. गाय के वियोग से वहीं, बूढ़ी औरत भूखी-प्यासी रहकर सूर्य भगवान से प्रार्थना कर रही थी। सूर्यदेव को उस पर दया आ गई. उसी रात सूर्यदेव राजा के सपने में आए और उससे कहा कि हे राजन, बुढ़िया की गाय व बछड़ा तुरंत वापस कर दो। यदि ऐसा नहीं किया तो तुम्हें इसका दंड भोगना होगा। सपने से राजा डर गया. इसके बाद उसने बूढ़ी औरत को गाय और बछड़ा लौटा दिया। और उसे को ढेर सारा धन देकर उससे क्षमा मांगी। वहीं, राजा ने पड़ोसन और उसके पति को सजा भी दी। इसके बाद राजा ने पूरे राज्य में घोषणा की कि नगर का प्रत्येक व्यक्ति रविवार का व्रत रखे।

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