What Is Estate Tax In India : क्या है ये विरासत टैक्स, जिस पर मचा है बवाल? 

Virasat Tax Ki Shuruaat Kisne Ki Thi?
क्या भारत में इनहेरिटेंस टैक्स था?

Heritage Tax

Is Donation A Tax?

Virasat Tax Kya Hai

 

Heritage Tax : लोकसभा चुनाव के लिए अब तक दो फेज़ में वोटिंग हो चुकी है... यानी अभी कुल 5 फेज़ और बाकी हैं... यानि कि सियासी पारा अभी और चढ़ेगा और सत्ता और विपक्ष में अभी आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी खूब चलेगा... दोनों तरफ से ढूंढ-ढूंढ कर नए और पुराने मुद्दे निकाले जा रहे हैं और उनको आधार बनाकर एक दूसरे पर निशाना साधा जा रहा है... इसी कश्मकश में एक हवा चली है विरासत टैक्स की... 

विरासत का क्या मतलब होता है?

अब आप यह सोच रहे होंगे कि ये विरासत टैक्स नाम की कौन सी चिड़िया है जिसके बारे में कभी सुना ही नहीं... अरे भैया सुनेंगे भी कैसे, क्योंकि इस खास किस्म के टैक्स को खत्म किए हुए ही एक अच्छा खासा अरसा गुज़र चुका है... अब आप के मन में इस विरासत टैक्स के बारे में जानने की जिज्ञासा और भी तेज़ हुई होगी, तो चलिए आपका कीमती वक्त और ज़ाया नहीं करते हैं और इस टैक्स के बारे में आपको तफसील से जानकारी दे देते हैं... क्योंकि अगर इस चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनती है तो ये मुमकिन है कि आम आदमी की कमर तोड़ने वाले इस टैक्स को दोबारा लागू कर दिया जाएगा... लिहाज़ा इसके बारे में पूरी जानकारी होना आपके लिए लाज़मी है...

क्या भारत में पैतृक संपत्ति बेचने पर कोई टैक्स लगता है?

विरासत टैक्स क्या है ये इसके नाम से ही समझ में आता है... विरासत यानी उत्तराधिकार, अंग्रेजी में कहें तो Legacy.. Heritage... यानी कि विरासत टैक्स का मतलब होता है पुश्तैनी संपत्ति पर लगने वाला टैक्स... चलिए आपको एक Example देकर इस टैक्स के बारे में समझाते हैं तब आपको इसके बारे में बेहतर समझ में आ जाएगा... मान लीजिए कि Mr Rohit Bajaj नाम के शख्स के पास 10 करोड रुपए की संपत्ति है... अब एक दिन किसी वजह से उनकी मौत हो जाती है तो ज़ाहिर है उस 10 करोड रुपए की संपत्ति पर पहला अधिकार होगा उनके बेटे Aryan Bajaj का ही होगा न...

लेकिन, लेकिन, लेकिन... इस 10 करोड रुपए की संपत्ति को अपने नाम पर ट्रांसफर कराने के लिए Aryan Bajaj को लगभग 50 फीसद सरकार को देना पड़ेगा... यानी कि Aryan Bajaj 5 करोड़ सरकार को देंगे और खुद 5 करोड़ रखेंगे... सरकार को दिया जाने वाला ये 5 करोड़ रुपए ही विरासत टैक्स कहलाता है... अब समझ आ गया ना क्या होता है विरासत टैक्स...  भई अब हर कोई Mr Rohit Bajaj तो होता नहीं है जिसकी कुल संपत्ति 10 करोड रुपए की होती है... मान लीजिए कि किसी के पिता की संपत्ति 10 करोड़ नहीं बल्कि 10 लाख है तो उनकी औलाद को 5 लाख सरकार को देना होगा तब जाकर वो खुद 5 लाख रख पाएंगे... हैं न ये एक नाइंसाफी वाला कानून?

विरासत टैक्स की शुरुआत किसने की?

लेकिन आपको जानकारी हैरानी होगी कि ये नाइंसाफी वाला कानून हमारे देश में 32 सालों तक लागू रहा था... इस टैक्स को शुरू करने वाली भी कांग्रेस थी और खत्म करने वाली भी कांग्रेस थी... 1953 में जब इस टैक्स को शुरू किया गया था तब इसे Estate Tax के नाम से जाना जाता था... आलम ये था कि किसी के पास अगर 20 लाख से ज्यादा की संपत्ति होती थी तो उस पर 85 फीसद विरासत टैक्स लगाया जाता था... यानी सिर्फ पुश्तैनी संपत्ति का कुल 15% ही उनके उत्तराधिकारियों को मिल पाता था... ये टैक्स जितना अमीरों के लिए ज़हर था उससे कहीं ज़्यादा गरीबों के लिए था...

क्या भारत में इनहेरिटेंस टैक्स था?

अमीरों के पास तो फिर भी कुछ संपत्ति बस जाती थी लेकिन गरीब तो बेचारे कहीं के नहीं रहते थे... 32 सालों तक देश के लोगों के साथ ये नाइंसाफी चलती रही... लेकिन साल 1985 में इस टैक्स को खत्म कर दिया गया... खत्म भी किया गया तो कोई जनता का हित सोचकर नहीं बल्कि अपना हित सोचकर... जी हां, दरअसल, सरकार के ख़ज़ाने में विरासत टैक्स के नाम पर जितना पैसा आता था, उससे ज़्यादा पैसा इसे कलेक्ट करने या रिकवर करने में आता था... लिहाज़ा, तत्कालीन राजीव गांधी सरकार में वित्त मंत्री वीपी सिंह ने अपनी सरकार को नुकसान से बचाने के लिए इस टैक्स को खत्म कर दिया...

Is donation a tax?

खैर, कांग्रेस के एक नेता हैं, सैम पित्रोदा... उन्होंने बड़ी ही चालाकी से इस विरासत टैक्स को दोबारा अमल में लाने की वकालत की है... बस तबसे ही इस टैक्स की चर्चा होने लगी है... चर्चा बढ़ी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पर अपनी राय ज़ाहिर की... उन्होंने कहा कि माता-पिता से मिलने वाली विरासत पर भी कांग्रेस टैक्स लगाना चाहती है... कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस का मंत्र है- कांग्रेस की लूट, जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी... यानी एक तरह से कहें तो कांग्रेस पार्टी इस नाइंसाफी वाले कानून को दोबारा लागू करना चाहती है और भारतीय जनता पार्टी की सरकार इसके हक में बिल्कुल भी नहीं है... बहरहाल, अब ये हक आम जनता के पास है कि वो अपने वोट से किसके हाथ मजबूत करते हैं... नाइंसाफी के पक्षधरों के या नाइंसाफी के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों के... फैसला आपके पास है...

 

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