गांधी जी के विचार और जीवन मुल्य आज भी प्रासंगिक 

Gandhi jayanti
 

       एक दिन, एक पागल दिन की रोशनी मे जब सुर्य की किरणे चारो ओर फैली थी, एथेन्स की सडको पर भीड भरे बाजार में हात मे जलता हुआ कन्दील लिए जोर जोर से चिल्ला रहा था और कह रहा था कहा हो मेरे ईश्वर, कहा हो मेरे गाड तुम कहा हो? मै दीया ले तुम्हें ढुन्ढ रहा हूँ, उसकी आवाज सुनकर लोग उसके आस पास एकठ्ठा हो गये और उसकी मजाक करने लगे कोई कहने लगा कि तेरा ईश्वर हम से डर कर भाग गया है, तो कोई कहने लगा तैरा ईश्वर हम को देखकर छिप गया है l उस पागल ने एक तेज नजर से सबकी और देखाl लोग चुप हो गए l उसने फिर चारो ओर घूर कर देखा और चिल्ला कर कहने लगा कि तुमने ईश्वर की हत्या की है l तुम हम सब उसके हत्यारे है l ईतना कह कर उसने जलता हुआ कन्दील हात से फेक दिया l फिर और एक तैज निगाह से सबकी और देखकर वह कहने लगा क्या तूम अनुभव नहीं करते हो कि तुमने जीवन के उन मुल्यो और आदर्शो को भुला दिया है जो मनुष्यता के अस्तित्व के लिए आवश्यक है l तुमने ईश्वर से विमुख होकर शुन्यता निर्मित की है l विनाश समीप है l इतना कहकर वह चल दिया l वह पागल कोई और नही जर्मन का प्रसिद्ध दार्शनिक नीत्शे था l 
जिस ईश्वर को, और जिन नैतिक मुल्यो नीत्शे खोज रहा था l गांधी उनका ही तो प्रतिक है l गांधी ने अपने जीवन में सत्य को ही ईश्वर कहा था उनके लिए सत्य ही उनका ईश्वर था l उसका समुचा जीवन  सत्य की ही साधना थी l सत्य से वह कभी विमुख नहीं हुवा l जीवन मे जब कभी भी उसे अनुभव हुआ कि उससे गलती हुई है तो उसने उसे सार्वजनिक रुप से स्वीकार किया ,उस पर पश्चाताप किया और उसका प्रायश्चित तक किया l उसके जीवन की सबसे बड़ी विशेषता यह थी की वह जो सोचता था, वही बोलता था और जो बोलता था वही करता था उसकी कथनी और करनी मे अन्तर नहीं था l उसकी कथनी और करनी मे एक रुपता थी l वर्तमान की विडम्बना यह है कि आज का मानव सोचता कुछ है और करता कुछ है l उसकी कथनी और करनी मे अन्तर है l गांधी इसके अपवाद रहे l साध्य व साधन की पवित्रता और कथनी और करनी की एकरुपता उसके जीवन की विशेषता थी और इन विशेषताओ के कारण उसके व्यक्तित्व मे ऐसा आत्मबल विकसित हुआ था कि उसकी वाणी और विचार, जीवन और कर्म का लोगों पर चमत्कारिक प्रभाव होता था l उसकी महानता और विलक्षणता का कोई आधार था तो वह उसका आत्मबल था l शारिरिक सौन्दर्य से कई अधिक मनुष्य का आत्म बल काम करता है और दुसरो पर प्रभाव डालता है और इस कारण गांधी अपने आत्मबल के कारण ही विलक्षण थे l उसने साध्य व साधन की पवित्रता को महत्व देते हुए अपने सत्य और अहिंसा के प्रयोगो से उन्होने भारत को आजादी दिलाई और अपने आचरण, जीवन दर्शन,विचार तथा सत्य के प्रयोगो से दुनिया को अहिन्सक जीवन दर्शन दिया l ईश्वर मे आस्था और मानवता के प्रति करुणा उसके जीवन के मंत्र थे l अहिन्सा उसके मानवता और कर्म की कसौटी थी l मनुष्य मे सत्य व नैतिक मुल्यो से विमुख होने के कारण मानवता की भावना मे कमी आती है l जीवन मे अहंकार, घृणा और हिंसा की उत्पत्ति होती है और फिर मनुष्य हिंसा के प्रति उत्तर मे हिंसा का ही मार्ग अपनाता है l लेकिन गांधी ने अपने उपदेशो से आचरण व सत्य के प्रयोग से मानविय समस्याओ का अहिंसा के जरिए समाधान का मार्ग दिखाया है l उनकी अहिंसा मानवता की महानतम शक्ति थी l हरिजन मे उन्होने लिखा है कि "विनाश मानव समुदाय का सिद्धांत नहीं है l और दुसरो की मृत्यु हमारे जीवन का आधार नहीं है "वर्तमान स्थिति में आज जब देश और दुनिया मे सामाजिक, राजनैतिक व मानविय जीवन मुल्यो मे जिस तेजी से गिरावट आ रही है और अनाचार,अत्याचार, अशान्ति, हिंसा और अराजकता पनप रही है उस स्थिति में गांधी अपने दैहिक रुप से कही अधिक
विचार के रूप मे आज भी प्रासंगिक बना हुआ है l हिंसा, नफरत, धार्मिक उन्माद और धर्म के नाम पर किसी को दुश्मन मानना हमारी संस्कृति नहीं है और न हमारा राष्ट्रवाद l अशान्ति और अलगाव के सृजक यह न भुले की लोकतन्त्र की मृत्यु अस्थिरता से नहीं अराजकता से होती है l स्वामी विवेकानन्द ने भी कहा था कि मत भुलो की सभी वर्ग विशेष, निरक्षर और उपेक्षित सभी का रक्त और मांस एक जैसा है l सभी मानव आपस में भाई हैं l गान्धी का विचार भी तो यही है l विचार ही मानव जगत पर शासन करते है और विचार से इंसान, इंसान बनता है l गांधी व्यक्ति नहीं विचार है और विचार के रूप मे आज भी वह देश और दुनिया मे मौजुद है l 
          -----दिलीप तायडे
                गांधी चिन्तक

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