परम पूज्य श्रील गोपाल कृष्ण गोस्वामी जी महाराज की 80वीं व्यास पूजा को भक्तों ने श्रद्धापूर्वक पुष्पांजलि अर्पित कर एवं गुणगान कर मनाया
उपाध्यक्ष भोक्ताराम प्रभु जी ने बताया कि परम पूज्य गोपाल कृष्ण गोस्वामी जी महाराज का जन्म 14 अगस्त 1944 को अन्नदा एकादशी को एक बहुत ही संभ्रान्त, उच्च शिक्षित एवं धनी परिवार मे हुआ था, उनकी उच्च शिक्षा यूरोप मे हुयी और 1960 के दशक मे एम0बी0ए0 करने के बाद पेप्सीको, एशिया के सी0ई0ओ0 के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे थे l
उनका रुझान कृष्ण भक्ति की ओर हुआ और वह मांट्रियल के मन्दिर अध्यक्ष से कुछ सेवा मांगने गये तो उन्हें श्रील प्रभुपाद जी का कमरा साफ करने की सेवा दी गयी, उन्होंने वह सेवा इतनी सुन्दर तरीके से की, जिससे श्रील प्रभुपाद जी अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्हें मिलने के लिए बुलाया, इस तरह गुरू महाराज की श्रील प्रभुपाद से पहली भेंट 13 मई 1968 को हुई l श्रील प्रभुपाद जी ने उन्हें कृष्ण भक्ति उत्साहपूर्वक करने के लिए प्रेरित किया l27 मई 1969 को गुरू महाराज कि दीक्षा हुई महाराज को उनके भौतिक नाम के अनुरूप दीक्षित नाम गोपाल कृष्ण दास दिया गया l गुरू महाराज की अपने गुरू श्रील प्रभुपाद के प्रति ऐसी शरणागति थी कि वह अपना सम्पूर्ण वेतन लेकर श्रील प्रभुपाद के चरणों मे रख देते थे l प्रभुपाद जी उनकी पत्नी को बुलाकर उन्हें घर खर्च के पैसे दिया करते थे l
गुरू महाराज की निरंतर सेवाओं से प्रसन्न होकर श्रील प्रभुपाद जी ने उन्हें 1975 मे भारत भेजा और मुख्य रूप से पुस्तक वितरण पर अपना ध्यान केंद्रित रखते हुए प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए गुरू महाराज को 1976 मे रूस मे प्रचार के लिए भेजा गया, जहाँ उन्हें अत्यंत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा परन्तु उनकी गुरू के प्रति शरणागति और इच्छाशक्ति के कारण आज विश्व में सर्वाधिक भक्त रूस मे ही हैं l 1981 मे गुरू महराज ने सन्यास ग्रहण किया और 1982 मे जी0बी0सी0 (जनरल बॉडी काउंसिल) द्वारा उन्हें दीक्षा गुरू के रूप मे नियुक्त किया गया और तबसे वह निरंतर अपनी सेवाएं देते रहे और 05 मई 2024 को इस नश्वर संसार से गोलोक धाम को प्रस्थान कर ग परम पूज्य गोपाल कृष्ण गोस्वामी जी महाराज के आविर्भाव दिवस पर इस्कॉन परिवार, लखनऊ द्वारा श्री श्री राधा रमण बिहारी जी मंदिर मे श्रद्धांजलि अर्पित की गयी एवं भक्तों ने दोपहर 12 बजे तक उपवास रखा तत्पचात एकादशी प्रसाद ग्रहण किया।