शिवलिंग की वैज्ञानिकता | Is Shiva Linga A Nuclear Reactor?

वेदों के अनुसार शिवलिंग क्या है | What Is The Story Behind Shivling?

research of shivling in hindi

Shivling Ki Vaigyanikta Praman

शिवलिंग के पीछे का विज्ञान क्या है?

Research Of Shivling In Hindi 

शिवलिंग, जो भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है और जिसकी पूजा दुनिया में लगभग सभी हिन्दू करते हैं.... लेकिन क्या आपको पता है की शिवलिंग की सरंचना के पीछे एक बहुत बड़ा वैज्ञानिक तथ्य भी है.. 

शिवलिंग की उत्पत्ति कब और कैसे हुई?

एक समय था, जब धर्म और विज्ञान को एक दूसरे से बहुत अलग माना जाता था, या यूँ कहें की रिलिजन और साइंस को एक दूसरे से अपोजिट समझा जाता था.... लेकिन कुछ समय बाद कुछ वैज्ञानिकों और विद्वानों ने कुछ रिसर्च करके निष्कर्ष निकाले...   जिसके बाद धर्म और विज्ञान में बहुत सारी समानताएं देखने को मिलने लगीं..... और उन्ही रिसर्च में से Geologist यानि भूवैज्ञानिक और environmental scientists यानि पर्यावरण वैज्ञानिकों ने शिवलिंग से जुड़े scientific facts ढूंढने के प्रयास किये...  वैसे शिवलिंग पर लगातार जल चढ़ाने का नियम है... और देश में, अधिकतम शिवलिंग वहीं पाए जाते हैं जहां जल का भंडार हो,जैसे नदी,तालाब, झील समुद्र आदि, और विश्व के सभी न्यूक्लियर प्लांट भी पानी (समुद्र) के पास ही हैं...

विज्ञान के अनुसार शिवलिंग क्या है?

अब आप सोच रहे होंगे शिवलिंग का जिक्र न्यूक्लियर प्लांट के साथ क्यों... अगर आपने कभी गौर किया हो तो देखा होगा की शिवलिंग की संरचना बेलनाकार होती है... वहीँ भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (मुंबई) की रिएक्टर की संरचना भी बेलनाकार ही है.... और न्यूक्लियर रिएक्टर को ठंडा रखने के लिए जिस जल का उपयोग किया जाता है, फिर उस जल का प्रयोग कहीं और नही किया जाता है.. उसी तरह  शिवलिंग पर जो जल चढ़ाया जाता है उसको भी प्रसाद के रूप में ग्रहण नहीं किया जाता है... और ऐसी भी मान्यता है की शिवलिंग की कभी भी पूरी परिक्रमा नहीं की जाती है... कहते हैं की जहाँ से जल निष्काषित होता है उस जगह को क्रॉस नहीं करते क्यूंकि वजह जल आवेशित होता है... वहीँ दूसरी तरफ न्यूक्लियर रिएक्टर से निकले हुए जल को भी दूर रखा जाता है... अगर आप भारत का रेडियोएक्टिविटी मैप उठा लें, तब हैरान हो जायेगें, क्यूंकि भारत सरकार के नुक्लियर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है।

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शिवलिंग किसको कहते हैं?

वैज्ञानिकों के अनुसार शिवलिंग एक उर्जा का स्रोत है, जिससे लगातार उर्जा निकलती रहती है... लोग श्रद्धा से बेल का पत्ता शिवलिंग पर चढ़ाते हैं... कुछ समय के बाद वैज्ञानिकों के रिसर्च से ये पता चला कि बेल के पत्तों में रेडियो विकिरण रोकने की क्षमता है... जिसकी वजह से प्राचीन काल में लोग शिवलिंग को उर्जा और विकिरण का स्रोत मानकर उस पर जल और बेल पत्तों को चढ़ाते थे...  और यह प्रथा आज भी प्रचलित है... 
वैसे शिवलिंग की आकृति हम अपने दैनिक जीवन में भी देख सकते हैं कि जब भी किसी जगह पर suddenly energy ka emission होता है तो उर्जा का फैलाव चारों ओर एक वृताकार पथ में और ऊपर व नीचे की ओर अग्रसर होता है यानि की वो सभी दिशाओं में फैल जाता है, और ये scientific approval fact है...  कहते हैं की सृष्टि के आरंभ में महाविस्फोट के बाद उर्जा का प्रवाह वृत्ताकार पथ में और ऊपर व नीचे की ओर हुआ, जिसके फलस्वरूप एक महाशिवलिंग का उत्पादन हुआ,जिसका वर्णन हमें लिंगपुराण, शिवमहापुराण, स्कन्द पुराण आदि में मिलता है कि आरंभ में निर्मित शिवलिंग इतना विशाल या infinte था कि देवता आदि सबमिल कर भी उस लिंग के आदि और अंत नही पा सके....

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वहीँ पुराणों में कहा गया है कि प्रत्येक युग के बाद पुरा विश्व इसी शिवलिंग में समाहित होता है और इसी से पुन: स्थापित होता है... सबसे पहले महाविस्फोट का सिद्धांत Georges Lemaître ने 1920 में दिया... जिसके अनुसार कैसे आज से लगभग 13.7 खरब साल पहले एक अत्यंत गर्म और घनी अवस्था से ब्रह्मांड का जन्म हुआ था... और इसके अनुसार ब्रह्मांड की उत्पत्ति एक बिंदु से हुई थी जिसकी energy infinite थी...  और यह ऊर्जा इतनी ज्यादा थी... कि इसके प्रभाव से आज तक ब्रह्मांड फैलता ही जा रहा है... सारी भौतिक मान्यताएं इस एक ही घटना से परिभाषित होती हैं जिसे "महाविस्फोट सिद्धांत" कहा जाता है....  लेकिन शिवलिंग, एक आम इंसान की समझ से बिल्कुल परे है, शिवलिंग आदि है और अनंत है.... .

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