9 साल से पार्किंसन से जूझ रही 70 वर्षीय महिला के दिमाग में लगाया पेसमेकर 

A pacemaker was implanted in the brain of a 70-year-old woman who had been suffering from Parkinson's for 9 years
A pacemaker was implanted in the brain of a 70-year-old woman who had been suffering from Parkinson's for 9 years
उत्तर प्रदेश डेस्क लखनऊ(आर एल पाण्डेय)। अपोलो मेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल ने निजी चिकित्सा क्षेत्र में एक बार फिर मील का पत्थर रखा है। अपोलो मेडिकल सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के विशेषज्ञों की टीम ने अत्याधुनिक डीबीएस सर्जरी द्वारा 70 वर्षीय महिला के दिमाग में पेसमेकर लगाया है। इस तकनीक को डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) कहते हैं। इसमें दिमाग में पेसमेकर की तरह का यंत्र लगाया जाता है। प्रदेश के निजी अस्पतालों में पहली बार ऐसी सर्जरी हुई है। डीबीएस सर्जरी के बाद महिला पूरी तरह से स्वस्थ है।

अपोलो मेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जन डॉ सुनील सिंह ने बताया कि 70 वर्षीय महिला पिछले नौ साल से पार्किंसन से जूझ रही थी। पार्किंसन पर नियंत्रण के लिए पिछले नौ वर्ष से मरीज को चिकित्सक फुल डोज पर दवाएं दे रहे थे। इसके बावजूद महिला का मर्ज नियंत्रण में नहीं आया व उनके दिमाग का क्षरण (डीजनरेशन) जारी रहा। लंबे समय से चल रही दवाओं से महिला को कई साइड इफेक्ट हो गए। महिला की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी। वह चल-फिर नहीं पा रही थी। वस्तु नहीं उठा पाती। खड़ा होते ही लड़खड़ाकर गिर जाती। पूरी तरह से वह दूसरों पर आश्रित हो गई थी।

डॉ सुनील सिंह ने बताया कि महिला के इलाज के लिए डीबीएस सर्जरी करने का फैसला किया गया। इस सर्जरी में दिमाग में पेसमेकर जैसा यंत्र लगाया जाता है। इसमें मरीज के सिर के पिछले हिस्से में दो छोटे छेद कर वहीं से दो इलेक्ट्रोड दिमाग में डाले जाते हैं। उसे एक बैटरी से जोड़ा जाता है। यह पार्किंसन से जूझ रहे लोगों के इलाज की सबसे आधुनिक तकनीक है। विदेशों में पार्किंसन का इलाज इसी तकनीक द्वारा होता है। प्रदेश में इस तकनीक द्वारा सर्जरी निजी क्षेत्र में पहली बार हुई है।

न्यूरो सर्जन डॉ सुनील सिंह ने बताया कि पार्किंसन समेत कुछ दिमागी बीमारियों में इलाज की सबसे आधुनिक सर्जरी डीबीएस है। इसकी कई खासियत हैं। इसमें रिस्क नहीं है। सर्जरी के बाद मरीज 90 फीसदी तक स्वस्थ हो जाता है। मरीज को दी जाने वाली दवाएं भी करीब 90 फ़ीसदी तक कम हो जाती हैं। इससे दवाओं के साइड इफेक्ट नहीं होते। इस मामले में सर्जरी के बाद महिला अब खुद अपने पैरों पर खड़ी हो रही है। चल-फिर रही है। खुद से खाना, पीना, घूमने व टहलने में उसे कोई दिक्कत नहीं हो रही है। अगले कुछ दिनों में वह पूरी तरह स्वस्थ हो जाएगी।

दिमाग को इलेक्ट्रिक पल्स देंगे संकेत
न्यूरोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. गोपाल पुडवल ने बताया कि डीबीएस आधुनिक तकनीक है। यह ऐसे मरीजों में कारगर है जो कि मूवमेंट डिसऑर्डर से पीड़ित हों। जैसे पार्किंसन, डिस्टोनिया और 


अन्य कंपन वाली बीमारियां। मरीज के शरीर में कंपन दिमाग से सही संकेत न मिलने से होता है। डीबीएस मस्तिष्क के विशिष्ट भागों को टार्गेट करती है। दिमाग का पेसमेकर इलेक्ट्रिक पल्स भेजता है। यह असामान्य गतिविधि को नियंत्रित कर कंपन को कम करता है।

अपोलो मेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के सीईओ और एमडी डॉ मयंक सोमानी ने बताया कि अपोलो हॉस्पिटल में हम मेडिकल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में तेजी से विकसित हो रहे ट्रेंड को अपना रहा है। मरीजों को इलाज की अत्याधुनिक सुविधाएं मुहैया कराने को लेकर अपोलो मेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल प्रतिबद्ध है। प्रदेश में पहली बार पार्किंसन के इलाज में डीबीएस सर्जरी की शुरुआत करना इसीका प्रमाण है। हमारी कोशिश है कि आगे भी हम प्रदेश के लोगों को इलाज की सबसे उन्नत तकनीक मुहैया करवाएं जिससे की उन्हें इलाज के लिए किसी दूसरे प्रदेश में जाने की आवश्यकता न पड़े।

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