सीपीआर एक सरल तकनीक है जिसे कोई भी सीख सकता है
उत्तर प्रदेश डेस्क लखनऊ(आर एल पांडेय)। अपोलोमेडिक्स सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल तथा यातायात पुलिस लखनऊ के सहयोग से ‘‘संजीवनी’’ पहल के अंतर्गत सीपीआर वर्कशॉप में 100 से अधिक यातायात पुलिस के जवानों तथा परिजनों को प्रशिक्षण दिया गया। इस पहल का उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं या अन्य आपातकालीन स्थितियों में पीड़ितों की जान बचाने के लिए पुलिसकर्मियों को जीवनरक्षक कौशल से लैस करना है।
इस अवसर पर सलमानताज पाटिल पुलिस उपायुक्त यातायात मुख्य अतिथि के रूप में गरिमामयी उपस्थिती रही तथा कृपाशंकर अपर पुलिस उपायुक्त यातायात, इंद्रपाल सिंह सहायक पुलिस आयुक्त, शिवाजी सिंह सहायक पुलिस आयुक्त यातायात, सुबोध कुमार जायसवाल सहायक पुलिस आयुक्त यातायात की उपस्थिती रही।
अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल के सीईओ एवं एमडी डॉ मयंक सोमानी ने कहा, ‘‘सड़क दुर्घटना और आपात स्थिति में यदि तुरंत सीपीआर प्रदान किया जाता है, तो यह किसी की जान बचा सकता है। सीपीआर एक सरल तकनीक है जिसे कोई भी सीख सकता है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि आपातकालीन स्थिति में इसका उपयोग कैसे किया जाए।’’ वर्कशॉप में डा. अजय कुमार, एम॰डी॰, इन्टर्नल मेडिसीन द्वारा यातायात पुलिस के जवानों को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) की बुनियादी बातें सिखाईं, जिसमें छाती संपीड़न और बचाव के लिए सांसें देना भी शामिल है। सीपीआर एक जीवन रक्षक तकनीक है जिसका उपयोग हृदय गति रुकने पर किसी व्यक्ति की जान बचाने के लिए किया जाता है।
चूंकि यातायात पुलिस के जवान अक्सर मेडिकल इमरजेंसी के पहले उत्तरदाता होते हैं, इसलिए उनके लिए सीपीआर प्रशिक्षण प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। इससे यह भी सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को समय पर और प्रभावी ढंग से प्राथमिक चिकित्सा मिल सके। वर्कशॉप के अन्त में डा. योगेश द्वारा यातायात पुलिस के जवानों तथा महिलाओं को फिट रहनें हेतु जरूरी व्यायाम के बारे में जानकारी दी गयी। पुलिस उपायुक्त, यातायात महोदय द्वारा वर्कशॉप में यातायात पुलिस के जवानों को सीखायी गई तकनीकों के लिए अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल का आभार व्यक्त किया। पुलिस उपायुक्त, यातायात महोदय द्वारा ओपोलो हॉस्पिटल की इस पहल को सराहना करते हुये कहा गया कि इस तकनीक के प्रशिक्षण से यातायात पुलिसकर्मियों आपातस्थिति में बेहतर तरीके से लोगों के जीवनरक्षा कर पायेगें।