पुण्यतिथि-  20 अगस्त  : आर्यों को भारत का मूल निवासी सिद्ध करने वाले इतिहासकार -  गंगाराम सम्राट 

Death Anniversary – 20 August : Historian who proved Aryans to be the original inhabitants of India – Ganga Ram Samrat
Death Anniversary – 20 August : Historian who proved Aryans to be the original inhabitants of India – Ganga Ram Samrat
लेख: मृत्युंजय दीक्षित उत्तर प्रदेश डेस्क लखनऊ) आर एल पाण्डेय)। प्रसिद्ध इतिहासकार गंगाराम सम्राट का जन्म 1918 में सिन्धु नदी के तट पर स्थित सन गांव में हुआ था। उस समय उनके गांव मे पढ़ाई की व्यवस्था बहुत ही अच्छी थी अतः वे अपनी पढ़ाई पूरी कर वहीं पर अंग्रेजी पढ़ाने लगे। कुछ समय बाद उनका सम्पर्क आर्य समाज से हुआ और उन्होंने आर्य  सन्यासियों की पुस्तकों का  अंग्रेजी में अनुवाद कर साहित्य की दुनिया में प्रवेश किया फिर नौकरी छोड़कर वह सिन्धी समाचार पत्र संसार से जुड़ गये और काफी समय तक उसका संचालन किया। 


उनकी आर्यावर्त नामक पुस्तक प्रकाशित हुई जिसमें उन्होंने आर्यों को भारत का मूल निवासी सिद्ध किया, जिससे उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली और लोग उन्हें गंगाराम सम्राट कहने लगे। पुस्तक में उन्होंने इस्लाम के विषय में काफी सच लिखा था जिसका मुसलमानों ने काफी विरोध किया। वह पुस्तक हाथों हाथ बिक गयी और जनमानस में उसकी काफी डिमांड हो गयी थी। 

गंगाराम जी का प्रमुख विषय इतिहास था।उनके पुस्तकालय में अंग्रेजी, हिन्दी, गुजराती, अरबी तथा फारसी की 4,000 पुस्तकें थी। 1953 के बाद उनके पास भारत,पाकिस्तान और अमेरिका के सरकारी गजट भी थे।उन्होंने सिकंदर की पराजय, सिन्धु सौवीर, भयंकर धोखा, शुद्ध गीता, मोहनजोदड़ो आदि अनेक पुस्तकें लिखीं। इन पुस्तकों का अनेक भाषाओें में अनुवाद भी हुआ। उनके पत्रों  के शीर्ष स्थान पर “वेदों की ओर लौट चलें“ लिखा रहता था। 

देश विभाजन के समय गंगाराम जी ने सिन्ध छोड़कर हिंदुओं  की बहुत सेवा व सहायता की। स्वतंत्रता के बाद वह पाकिस्तान में कुछ समय रहे किंतु फिर हिंदुओं की दुर्दशा देखकर  भारत आ गये। भारत में वे गुजरात के कर्णावती में बस गये और सतत लेखन व इतिहास शोध में लगे रहे। 1969 में उन्होंने अपना मुद्रणालय प्रारम्भ किया और 1970 में वहां से सिन्घु मित्र नामक साप्ताहिक पत्र निकाला। इतिहास, पत्रकारिता तथ सिन्धी साहित्य के लिए उनकी सेवाओं को देखते हुए सिन्धी समाज तथा राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने उन्हें सम्मानित किया।  उन्हें सिन्ध विश्वविद्यालय ने भाषण देने के लिए आमंतित्र किया और पर वे भारत आने के बाद फिर कभी पाकिस्तान नहीं गये।  

पुण्यतिथि-  20 अगस्त आर्यों को भारत का मूल निवासी सिद्ध करने वाले इतिहासकार -  गंगाराम सम्राट प्रसिद्ध इतिहासकार गंगाराम सम्राट का जन्म 1918 में सिन्धु नदी के तट पर स्थित सन गांव में हुआ था। उस समय उनके गांव मे पढ़ाई की व्यवस्था बहुत ही अच्छी थी अतः वे अपनी पढ़ाई पूरी कर वहीं पर अंग्रेजी पढ़ाने लगे। कुछ समय बाद उनका सम्पर्क आर्य समाज से हुआ और उन्होंने आर्य  सन्यासियों की पुस्तकों का  अंग्रेजी में अनुवाद कर साहित्य की दुनिया में प्रवेश किया फिर नौकरी छोड़कर वह सिन्धी समाचार पत्र संसार से जुड़ गये और काफी समय तक उसका संचालन किया। 

उनकी आर्यावर्त नामक पुस्तक प्रकाशित हुई जिसमें उन्होंने आर्यों को भारत का मूल निवासी सिद्ध किया, जिससे उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली और लोग उन्हें गंगाराम सम्राट कहने लगे। पुस्तक में उन्होंने इस्लाम के विषय में काफी सच लिखा था जिसका मुसलमानों ने काफी विरोध किया। वह पुस्तक हाथों हाथ बिक गयी और जनमानस में उसकी काफी डिमांड हो गयी थी। गंगाराम जी का प्रमुख विषय इतिहास था।उनके पुस्तकालय में अंग्रेजी, हिन्दी, गुजराती, अरबी तथा फारसी की 4,000 पुस्तकें थी। 1953 के बाद उनके पास भारत,पाकिस्तान और अमेरिका के सरकारी गजट भी थे।उन्होंने सिकंदर की पराजय, सिन्धु सौवीर, भयंकर धोखा, शुद्ध गीता, मोहनजोदड़ो आदि अनेक पुस्तकें लिखीं। इन पुस्तकों का अनेक भाषाओें में अनुवाद भी हुआ। उनके पत्रों  के शीर्ष स्थान पर “वेदों की ओर लौट चलें“ लिखा रहता था। 

देश विभाजन के समय गंगाराम जी ने सिन्ध छोड़कर हिंदुओं  की बहुत सेवा व सहायता की। स्वतंत्रता के बाद वह पाकिस्तान में कुछ समय रहे किंतु फिर हिंदुओं की दुर्दशा देखकर  भारत आ गये। भारत में वे गुजरात के कर्णावती में बस गये और सतत लेखन व इतिहास शोध में लगे रहे। 1969 में उन्होंने अपना मुद्रणालय प्रारम्भ किया और 1970 में वहां से सिन्घु मित्र नामक साप्ताहिक पत्र निकाला। इतिहास, पत्रकारिता तथ सिन्धी साहित्य के लिए उनकी सेवाओं को देखते हुए सिन्धी समाज तथा राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने उन्हें सम्मानित किया।  उन्हें सिन्ध विश्वविद्यालय ने भाषण देने के लिए आमंतित्र किया और पर वे भारत आने के बाद फिर कभी पाकिस्तान नहीं गये।

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