पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय ने स्थानीय स्कूलों में आउटरीच कार्यक्रम के साथ डॉ. एस. आर. रंगनाथन का 132वां जन्मदिन मनाया

Department of Library and Information Science, Lucknow University celebrates 132nd Birthday of Dr. S. R. Ranganathan with outreach programme in local schools
Department of Library and Information Science, Lucknow University celebrates 132nd Birthday of Dr. S. R. Ranganathan with outreach programme in local schools
उत्तर प्रदेश डेस्क लखनऊ (आर एल पाण्डेय)। लखनऊ विश्वविद्यालय के पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग ने भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक डॉ. एस. आर. रंगनाथन की 132वीं जयंती के अवसर पर 12 अगस्त दिन सोमवार को पुस्तकों, पठन-पाठन और पुस्तकालयों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक जीवंत कार्यक्रम का आयोजन किया।

माननीय कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय के तत्वावधान में लखनऊ के चार प्राथमिक विद्यालयों उच्च प्राथमिक विद्यालय, मड़ियांव; उर्दू मिशन स्कूल, सदर बाजार; प्राथमिक विद्यालय, महानगर और करामत पब्लिक स्कूल, निशातगंज में इस कार्यक्रम को आयोजित किया गया। विभागाध्यक्ष प्रो. बबीता जायसवाल ने संकाय सदस्यों, पूर्व छात्रों, शोधार्थियों, छात्रों और कर्मचारियों के साथ मिलकर इस पहल का नेतृत्व किया।

इस कार्यक्रम के तहत सभी विद्यालयों में “चलो कहानिया सुने”, “पुस्तक को जानें”, “पठन-कौशल परीक्षण” और “बुकमार्क कलरिंग” जैसी आकर्षक गतिविधियों से भरा हुआ था, जो सभी छात्रों में पढ़ने के प्रति प्रेम को बढ़ावा देने एवं अपनी पुस्तकों को जानने तथा समझने के लिए आयोजित किए गए थे। प्रतिभागियों ने पुस्तकों की देखभाल करने और पुस्तकालयों की भूमिका को “आओ पुस्तक सम्भाले” तथा “पुस्तकालय को जाने” चार्ट के माध्यम से   समझा एवं उनके महत्व के बारे में भी सीखा। इंटरैक्टिव क्विज़ और जम्बल्ड वर्कशीट ने कार्यक्रम में एक मजेदार और शैक्षिक तत्व जोड़ा, जिसमें छात्रों ने उत्सुकता से भाग लिया।

प्रत्येक गतिविधि व क्विज के उपरांत छात्र एवं छात्राओं को प्राइज भी दिये गये। कार्यक्रम का समापन से पूर्व पुस्तकालय शपथ भी ली गई, जिसमें पढ़ने और ज्ञान के मूल्यों को मजबूत किया गया, जिसके बाद प्रत्येक स्कूल में राष्ट्रगान गाया गया। इस पहल ने न केवल डॉ. एस. आर. रंगनाथन की विरासत का सम्मान किया, बल्कि अगली पीढ़ी को पुस्तकालय के महत्व को समझने व उनके मन में पढ़ने के लिए जुनून भी जगाया, जो उनकी आजीवन अथक प्रयासों, उनकी शिक्षाओं और पुस्तकालयो के प्रति उनकी सच्ची भावना को दर्शाता है।

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