जब जबड़े में बहुत कम हड्डी बची हो, तब भी हम बोन ग्राफ्ट लगाने के बाद एक इम्प्लांट लगा सकते हैं 
 

Even when there is very little bone left in the jaw, we can place an implant after applying a bone graft
Even when there is very little bone left in the jaw, we can place an implant after applying a bone graft
उत्तर प्रदेश डेस्क लखनऊ (आर एल पाण्डेय)। ओरल इम्प्लांटोलॉजी अकादमी की XIII इंटरनेशनल कांग्रेस का आयोजन 23 से 25 तारीख को किया गया था, इस सम्मेलन में पूरे भारत से विशेषज्ञों ने भाग लिया। प्रसिद्ध राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं ने प्रतिनिधियों को अत्यधिक लाभ पहुंचाने के लिए व्याख्यान दिए।


सम्मेलन का मुख्य आकर्षण प्री कॉन्फ्रेंस पाठ्यक्रम थे जो वरिष्ठ और युवा इम्प्लांटोलॉजिस्ट दोनों को अपने ज्ञान को अद्यतन करने के लिए पेश किए गए थे।अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं में इटली से डॉ. माटेओ इवर्निज़ी, फ्रांस से प्रोफेसर जोसेफ चौक्रोन, इज़राइल से प्रोफेसर मोशे गोल्डस्टीन, लंदन से डॉ. इसाबेला रोचट्टा, इटली से डॉ. लुका बोसिनी ने इम्प्लांटोलॉजी के क्षेत्र में विभिन्न प्रगति के बारे में विस्तार से बात की।

उन्होंने विस्तार से उल्लेख किया कि कैसे उन व्यक्तियों में दांतों की कार्यप्रणाली को बहुत प्रभावी ढंग से बहाल किया जा सकता है जिनके दांत प्रारंभिक अवस्था में ही गिर गए हों। इम्प्लांट हड्डी में एकीकृत हो जाते हैं और वे किसी भी प्राकृतिक दांत के समान या उससे भी बेहतर कार्य करते हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जब जबड़े में बहुत कम हड्डी बची हो, तब भी हम बोन ग्राफ्ट लगाने के बाद एक इम्प्लांट लगा सकते हैं जो एकीकृत हो जाता है। कुछ समय बाद हड्डी में, उन्होंने विस्तार से बताया कि ऊपरी जबड़े में आजकल हमारे पास नई तकनीक है और इसका उपयोग करके हम साइनस को उठा सकते हैं और प्रत्यारोपण लगा सकते हैं।


यह सभी नवोदित इम्प्लांटोलॉजिस्टों के लिए एक वैज्ञानिक असाधारण और ज्ञानवर्धक अनुभव था आयोजन सचिव  डॉ. एम. शाहीक ने कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय प्रत्यारोपण सम्मेलन पहली बार लखनऊ में आयोजित किया गया था और उनकी इच्छा है कि समाज के लाभ के लिए भविष्य में इस तरह के और सम्मेलन आयोजित किए जाएं। आयोजन समिति की कोर टीम के सदस्य प्रोफेसर अमृत टंडन सम्मेलन के अध्यक्ष, प्रोफेसर थे विवेक गोविला, डॉ. सीपी तिवारी सह-अध्यक्ष, डॉ. विजय विश्वकर्मा कोषाध्यक्ष, डॉ. शानवाज़ खान संयुक्त सचिव, डॉ. संदीप सिंह अध्यक्ष वैज्ञानिक ,डॉ. सुबोथ नाटू पंजीकरण प्रभारी, डॉ. विक्रम आहूजा अध्यक्ष Trade, डॉ. शुभम तिवारी और डॉ. सुमित तिवारी ने सम्मेलन की सफलता के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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