लोहिया संस्थान बना चिकित्सा शिक्षा प्रशिक्षण का राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एन०एम०सी० - नेशनल मेडिकल कमिशन) द्वारा मान्यता प्राप्त केंद्र

Lohia Institute becomes a center of medical education training recognized by the National Medical Commission (NMC - National Medical Commission).
Lohia Institute becomes a center of medical education training recognized by the National Medical Commission (NMC - National Medical Commission).
उत्तर प्रदेश डेस्क (आर एल पाण्डेय). डॉ० राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ में नवनियुक्त निदेशक प्रो० (डॉ०) सी० एम० सिंह के नेतृत्व में वहां के संकाय सदस्य अध्यापकों को चिकित्सा शिक्षा प्रशिक्षण एवं पठन-पाठन की आधुनिक विकसित पद्धतियों के अध्यापन के प्रति प्रशिक्षित करने हेतु दिनांक 9 से आज 11 मई 2024 के बीच एक अनूठी ३-दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस अद्भुत, व्यापक एवं विस्तृत कार्यशाला का आयोजन लोहिया संस्थान की चिकित्सा शिक्षा इकाई (मेडिकल एजुकेशन यूनिट) की समन्वयक अध्यक्षा  प्रो० (डॉ०) ज्योत्सना अग्रवाल (साथ ही में विभागाध्यक्ष माइक्रोबायोलॉजी व संस्थान की एग्जीक्यूटिव रजिस्ट्रार) के कुशल मार्गदर्शन व संस्थान के संकायाध्यक्ष (डीन) प्रो० (डॉ०) प्रद्युम्न सिंह के संरक्षण में किया गया। कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉक्टर मनीष कुमार सिंह (फैकल्टी कम्युनिटी मेडिसिन विभाग) रहे।

अध्यापकों को तीन दिन तक पढ़ाने और प्रशिक्षित करने वाले संसाधन संकाय सदस्यों (रिसोर्स फैकेल्टी) में डॉ० अरविंद सिंह (कम्युनिटी मेडिसिन विभाग), डॉ० नम्रता पुनीत अवस्थी (पैथोलॉजी विभाग), डॉ० विभा गंगवार (फिजियोलॉजी विभाग), डॉ० नवबीर पसरिचा (एनाटॉमी विभाग), डॉ० रितु करौली (मेडिसिन विभाग), डाॅ० रिचा चौधरी (फोरेंसिक विभाग),  डाॅ० शितांशु श्रीवास्तव (बाल रोग विभाग), एवं स्वयं प्रो० (डाॅ०) ज्योत्सना अग्रवाल व डॉ० मनीष सिंह की मुख्य भूमिका रही।

चिकित्सा शिक्षा संकाय सदस्य फैकेल्टी अध्यापकों को पठन-पाठन पद्धतियों के प्रति प्रशिक्षित करने हेतु इस प्रकार की पाठशाला के संपादन के लिए लोहिया संस्थान को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एन०एम०सी० - नेशनल मेडिकल कमिशन) द्वारा मान्यता प्राप्त है। एन०एम०सी० के केजीएमयू स्थित क्षेत्रीय केंद्र के तत्वाधान में प्रो० (डॉॅ०) विमला वेंकटेश रहीं। 

लोहिया संस्थान के निदेशक प्रो. (डॉ.) सी० एम० सिंह और डीन प्रो० प्रद्युम्न सिंह ने कार्यशाला की सराहना की और प्रतिभागियों को प्रशस्ति प्रमाण पत्र सौंपे। निदेशक प्रो० सी० एम० सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि अध्यापकों का स्वयं का यह प्रशिक्षण, उनके द्वारा इस आधुनिक विकसित पठन-पाठन अध्यापन पद्धति से प्रशिक्षित मेडिकल छात्रों को भविष्य के लिए तैयार कर, विकसित भारत योजना के अंदर अंतर्गत राष्ट्र की नींव को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करेगा। 

कार्यक्रम में प्रशिक्षण प्राप्त किये विद्यार्थी अध्यापकों में संस्थान के 28 चुनिंदा संकाय सदस्यों की प्रतिभागिता रही, जिनमें कुछ संस्थान के कई वरिष्ठतम अनुभवी नाम शामिल रहे, जैसे कि: प्रो० (डॉ०) ए०के० सिंह (विभागाध्यक्ष न्यूरोलॉजी एवं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक), प्रो० (डॉ०) सुब्रत चंद्रा (विभागाध्यक्ष ट्रांसफ्यूज़न मेडिसिन), प्रो० (डॉ०) पी०के० दास (विभागाध्यक्ष एनेस्थीसिया), प्रो० (डॉ०) भुवन चंद तिवारी (विभागाध्यक्ष कार्डियोलॉजी), प्रो० (डॉ०)  वी०एस० गोगिया (विभागाध्यक्ष, पी०एम०आर०) एवं प्रो० (डॉ०) ए०पी० जैन (विभागाध्यक्ष, सीवीटीसी एवं संस्थान के मीडिया-पीआर अध्यक्ष व प्रवक्ता)।

प्रशिक्षण पाठ्यक्रम इतना व्यापक और विस्तृत था की तीन दिनों तक प्रतिदिन प्रात काल 8:30 बजे से शाम 5:00 तक एकमात्र 20 मिनट के भोजन मध्यांतर विराम के अतिरिक्त प्रशिक्षणार्थियों की निरंतर कार्यशाला में कड़ाई से पूर्ण अनुशासन व नियमितता से संपूर्ण समय प्रतिभागिता अनिवार्य रही। कार्यशाला के प्रति सभी प्रशिक्षणार्थी अध्यापकों की पूरे उत्साह जोश व हर्ष उल्लास से समर्पण देखा गया। प्रातः काल 8:00 बजे से ही स्वयं इतने वरिष्ठ चिकित्सा शिक्षा अध्यापकों का हाथ में अपने प्रशिक्षण के सामग्री फोल्डर के साथ विद्यार्थियों की भांति कक्षा में ससमय आना यह अद्भुत दृश्य नज़ारा देखते ही बनता था। सभी को अपने युवावस्था में एमबीबीएस पाठ्यक्रम के प्रशिक्षण के दोनों की यादें ताज़ा हो गईं।

कार्यशाला के अंतर्गत, दो-तरफा जीवंत संवादों तथा अपने पूर्व के यादगार उदाहरणों से ओत-प्रोत कर, प्रशिक्षण दे रही फैकल्टी द्वारा नृत्य नाटिका तक के माध्यम से विभिन्न प्रकार की आधुनिक प्रशिक्षण पद्धतियों पर प्रकाश डाला गया।

संकाय सदस्यों ने शिक्षण, मूल्यांकन, पाठ योजना तैयार करने, वयस्क शिक्षा के सिद्धांत, एईटीसीओएम - दृष्टिकोण नैतिकता और संचार आदि विषयों पर चिकित्सा शिक्षा की तकनीकों का उपयोग करते हुए विभिन्न इंटरैक्टिव सत्रों में भाग लिया। यह उनके लिए एक गहन अनुभव रहा, जिसमें उन्होंने योग्यता आधारित चिकित्सा शिक्षा में प्रमुख अवधारणाओं को सीखा और सभी ने इसकी बहुत सराहना की।

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