सीएसआईआर-एनबीआरआई में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस  मनाया गया 

National Technology Day celebrated at CSIR-NBRI
National Technology Day celebrated at CSIR-NBRI
उत्तर प्रदेश डेस्क लखनऊ ( आर एल पाण्डेय ). सीएसआईआर-एनबीआरआई में आज राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस समारोह का आयोजन किया गया इस अवसर पर केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद्, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के महानिदेशक प्रो. रबिनारायण आचार्य मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित थे।


सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए, संस्थान के निदेशक डॉ. अजित कुमार शासनी ने सीएसआईआर-एनबीआरआई द्वारा विकसित विभिन्न प्रौद्योगिकियों रेखांकित करते हुए कहा कि हमारा संस्थान समाज कल्याण हेतु नई प्रौद्योगियों को विकसित करने में निरंतर प्रयासरत है |  इस दिवस को मनाने का यह भी उद्देश्य है कि विभिन्न प्रौद्योगिकियों को आम जनता तक पहुंचाया जाय ताकि लोग उसके प्रति जागरुक हो सकें. आज प्रौद्योगिकी के कारण ही समस्त विश्व एक-दूसरे से जुड़ पाया है। इस अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर आचार्य ने शिक्षा, चिकित्सा, फार्मा, स्वास्थ्य क्षेत्र आदि सहित विभिन्न क्षेत्रों में स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास में भारतीय वैज्ञानिकों के योगदान को याद किया। प्रो. आचार्य ने अपने संबोधन में आयुर्वेदिक क्षेत्र के विकास और चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि अब आयुर्वेद द्वारा लाइलाज बीमारियों के लिए सस्ती दवाएं विकसित करने के साथ साथ उचित आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली स्थापित करने में लगातार अनुसंधान एवं विकास कार्य किया जा रहा है। इसके लिए आधुनिक चिकित्सा प्रणाली को भी इसके साथ सम्बद्ध करके नए आयाम खोज़े जा रहे हैं ।

प्रो. आचार्य ने बताया कि हमारा आयुर्वेद पारंपरिक हिंदू चिकित्सा पद्धति है जिसका इतिहास 1500 वर्ष से भी अधिक पुराना है। यह शारीरिक प्रणालियों में संतुलन के विचार पर आधारित है जो आहार, हर्बल उपचार और योगिक श्वास का उपयोग करता है। अब आयुर्वेद परंपराओं से प्राप्त वैश्वीकृत और आधुनिकीकृत पद्धतियों को पूरक या वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में स्थापित किया जा रहा है। प्रो. आचार्य आगे कहा कि आज, आयुर्वेद उपचार और पद्धतियों को आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के साथ व्यापक रूप से एकीकृत किया जा रहा है।

प्रो. आचार्य ने संस्थान के वैज्ञानिकों से अज्ञात पादप विविधिता की अप्रयुक्त संभावनाओं पर शोध करने का आह्वान किया, ताकि नए यौगिकों पर अनुसंधान एवं विकास कार्य के जरिये उनका उपयोग विभिन्न जीवन-घातक बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जा सके। प्रो. आचार्य ने पादप आधारित हर्बल उत्पादों के विकास के लिए सीएसआईआर-एनबीआरआई के प्रयासों की सराहना की।

इस अवसर पर, सीएसआईआर-एनबीआरआई द्वारा हाल ही में विकसित कचनार के फूलों से हर्बल गुलाल की तकनीक को श्री गणेश ग्लोबल गुलाल प्राइवेट लिमिटेड, रायपुर, छत्तीसगढ़ को हस्तांतरित किया गया । श्री गणेश ग्लोबल गुलाल प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री उमंग गोएल ने कहा कि सीएसआईआर-एनबीआरआई द्वारा निर्मित हर्बल गुलाल बाज़ार में बहुत प्रसिद्ध है। कचनार के फूलों से बना यह नया हर्बल गुलाल हम जल्द ही बाजार में उतारेंगे।

इसके साथ साथ सीएसआईआर-एनबीआरआई द्वारा आयल इंडिया लिमिटेड के साथ कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये। इसके अंतर्गत इंटीग्रेटेड त्रिपुरा में एरोमैटिक फ्लोरीविलेज के विकास परियोजना के तहत सीएसआईआर मिशन परियोजनाओं के साथ त्रिपुरा के किसानो की बेहतर आजीविका के लिए आय सृजन के नए अवसर पैदा करने पर साझा कार्य किया जायेगा।  
इस अवसर पर संस्थान और इसकी प्रयोगशालाएँ आम जनता के लिए खुली रहीं और लखनऊ और आसपास के क्षेत्रों के 15 स्कूलों/कॉलेजों के 600 से अधिक छात्रों ने संस्थान और पादपालय, अभिदर्शन, वनस्पति उद्यान आदि का भ्रमण किया।
कार्यक्रम के अंत में मुख्य वैज्ञानिक डॉ. श्रीकृष्ण तिवारी  ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया एवं मंच संचालन डॉ. अदिति गुप्ता के द्वारा किया गया।

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