जीवन में सात्विकता का विशेष ध्यान रखना चाहिए
![One should pay special attention to purity in life](https://aapkikhabar.com/static/c1e/client/86288/uploaded/889a1c71a095416a69f4a658a7af742e.jpeg?width=730&height=480&resizemode=4)
जिसकी मुख्य वक्ता श्रीमति जयंती शुक्ला ने बताया कि योग के अभ्यास से शरीर और मन दोनो स्वस्थ्य होते है, मन की निर्मलता ही प्रसन्नता का आधार है मन की चंचलता के नियंत्रण के लिए अष्टांगिक योगिक सधना जैसे यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणाध्यान का अभ्यास करना चाहिए। इससे मन की शुद्धि के साथ साथ चित्त भी शुद्ध होता है।
कॉर्डिनेटर डॉ. अमरजीत यादव ने अपने संबोधन में कहा कि प्रसन्नता जीवन का आधार है प्रसन्न व्यक्ति ही जीवन को सार्थक ढंग से जी सकता है, प्रसन्नता के लिये व्यक्ति को आसान,प्राणायाम, मुद्रा, ध्यान को अपनाना चाहिए। इन अभ्यासों के कारण शरीर में ख़ुशी प्रदान करने वाले हार्मोन्स की मात्रा बड़ती है।शरीर में व्यक्ति को ख़ुशी प्रदान करने वाले हार्मोन्स डोपामाइन, सिरोटोनिन, इंडोर्फ़िन तथा ऑक्सीटोसीन है। प्रतिदिन नियम पूर्वक योगासन,प्राणायाम, मुद्रा तथा ध्यान के अभ्यास से ख़ुशी देने वाले हार्मोन्स की मात्रा बढ़ती है।लखनऊ विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के शिक्षक डॉ. अरुण कुमार द्विवेदी ने बताया कि भारतीय योगियों और मनीषियों ने प्रसन्न रहने के विभिन्न मार्ग बताये। जीवन में सकारात्मक विचार, संतोष, संतुष्टि और सफलता प्राप्त होने पर व्यक्ति आंतरिक रूप से आनंदित होता है। आनंद कि अवस्था को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को धरना ध्यान का अभ्यास करना चाहिए और जीवन में सात्विकता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस अवसर पर विभाग के डीन प्रो.अशोक कुमार सोनकर, राम किशोर, कृष्ण किशोर शुक्ल, अनिल कुमार गुप्ता विभाग के छात्र छात्राएँ तथा आमजन उपस्थित रहे।