मानवता ,ही स्वस्थ्य समाज का निर्माण कर सकती है।

Only humanity can create a healthy society.
Only humanity can create a healthy society.
निवेदिता शुक्ला (इटावा - उत्तर प्रदेश ) जहांँ हमारे पूर्वजों का मस्तिष्क ही अच्छा खासा मेमोरी कार्ड हुआ करता था, वहीं हमें ज़रा ज़रा सी बात को याद रखने के लिए तमाम जहमतें उठानी पड़ती है। जैसे डायरी में नोट करना ,फोन में सेव करना इत्यादि । आजकल की भागमभाग वाली जिंदगी में इंसान को कुछ भी याद रखने के लिए एक विशेष दिन बनाना पड़ता है। जिसे हम उस दिन मना कर बहुत गर्व का अनुभव कर लेते हैं। जैसे मदर्स डे,फादर्स डे,फ्रैंडशिप डे,डॉटर्स डे,यहां तक की टी डे और ना जाने कौन कौन से डे । 


सवाल ये है कि चलिए हमने सब डे मना लिए । अब इन तथाकथित सभी डेज को याद रखने के लिए मेमोरी डे भी मनाना पड़ेगा ।क्या हम इतने संवेदनहीन हो चुके हैं कि अपने जीवन की अहम चीजें यूं ही भूल जाते हैं। क्योंकि जो बात हमारी भावनाओं से हमारी आत्मा से जुड़ी हो उसे कोई कैसे  भूल सकता है? 

आजकल लोग बड़े सहज रूप से कह देते हैं "भूल गए" और शायद ये आजकल के लोगों ने अपने आप को व्यस्त दिखाने का या कहें कि अहम दिखाने का जरिया बना लिया है। या फिर सामने वाले को ये जता कर कि तुम मेरे लिए कोई अहमियत नहीं रखते इसलिए भूल गए...अपना अहम कायम रखना चाहते हैं।

जो भी हो लेकिन कहीं ना कहीं ये हमें मानवीय मूल्यों से गिराता जा रहा है। हम भौतिकता में इतने डूब चुके हैं इतने स्वार्थी हो चुके हैं कि  हर बात को नफा नुकसान के नजरिए से देखते हैं।अपने फायदे की बात कोई कभी नहीं भूलता, ना उन रिश्तों को। मानव जीवन में सबसे अहम बात है "मानवता" तो क्यों ना हम मानवता दिवस भी मनाएं । हम इंसान हैं जिस दिन से हम मानवता दिवस मनाने लगेगें यकीन मानिए तब हम कुछ नहीं भूलेंगे ।ना मर्यादा ना रिश्ते... कम से कम हम स्वार्थ से परे मानवीय मूल्यों को समझने लगेगें । एक दिन ही सही मृत्य प्राय हो चुके रिश्तों को जीवंत कर सकेगें।और तब शायद हमें बाकी कोई दिवस मनाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी । एक मानवता दिवस में ही सभी दिवसों का समागम हो जाएगा । और हम गर्व से कह सकेंगे...हम उस देश के वासी हैं...जहांँ मानवता को त्यौहार मानते है।

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