जब भोजन में उपयुक्त पौष्टिकता नहीं रह जाएगी, तब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाएगी
भूमि की उपजाऊ क्षमता में कमी होने से धान और गेहूं की गुणवत्ता 45 प्रतिशत कम हो गई है। इनमें जिंक व आयरन जैसे आवश्यक तत्वों में भी 33-27 प्रतिशत तक गिरावट आई है। जब भोजन में उपयुक्त पौष्टिकता नहीं रह जाएगी, तब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाएगी और लोग बार-बार बीमार पड़ेंगे और इससे भी देश की उत्पादकता व आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ेगा। साल 2050 तक 66 फीसदी हो जाएगी ।
आज गंगा जैसी नदी भी मुश्किल में है। उत्तर प्रदेश में प्रवेश करते समय गंगा में 70 प्रतिशत पानी हिमालय के झरनों और छोटी नदियों से आता था। हिमालय के 30 लाख झरनों में से 50 प्रतिशत सूख चुके हैं। 2030 तक देश में भूगर्भ जल 409 मीटर गिरने का अनुमान है और इससे भूजल में रासायनिक जहर की वृद्धि होगी। भूमि पर केवल हम ही नहीं, 60 प्रतिशत जीव भी उसी में रहते हैं। 95 प्रतिशत भोजन जो हम खाते हैं, वह भूमि से ही उत्पादित होता है। 75 प्रतिशत प्रतिशत फल और बीज परागीकरण के लिए मधुमक्खियों आदि पर निर्भर हैं। खेतों में या भूमि पर कीटाणु न मिलने के कारण पक्षियों को भोजन नहीं मिल पा रहा है और तालाबों के सूखने से पक्षियों के रहने के स्थान भी समाप्त होते जा रहे।