Marriage according kundli कुंडली से जाने कब है विवाह का योग ? किस ग्रह के के कारण होता है एक से ज्यादा विवाह 

कुंडली मे विवाह योग

कुंडली से जानिए कब होगी शादी ? कब बनता है विवाह योग 

विवाह योग ज्योतिष 

विवाह योग के लिए ज्योतिषियों द्वारा लग्न से सप्तम भाव की गणना की जाती है और सप्तम भाव जो कि विवाह के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है और इसमें ग्रहों की स्थिति को देखते हुए इस बात की गणना की जाती है कि व्यक्ति की शादी कब होगी और उसके विवाह का योग कब बन रहा है किस वर्ष में उसका विवाह होगा और कितने विवाह का योग है और उसी की गणना के अनुसार ज्योतिषियों द्वारा ही है बताया जाता है कि व्यक्ति को एक शादी होगी या एक से भी अधिक उसके कुंडली में विवाह का योग है।

विवाह योग कब बनता है ?

ज्योतिषी आकलन के अनुसार यह माना जाता है कि जिस वर्ष कुंडली के सप्तम भाव को शनि और गुरु ग्रह देखते हैं उस वर्ष में एक की भी शादी होती है यानी कि विवाह योग बनता है।

देखा गया है कि एक व्यक्ति के एक से ज्यादा शादियां होती है और ऐसा बिना उसके विवाह हुए ही जन्म कुंडली के अनुसार देखकर जो योग्य ज्योतिषी हैं वह बता सकते हैं विवाह का संबंध ज्योतिष के अनुसार ज्योतिषियों द्वारा बताया जाता है कहा जाता है कि देव गुरु बृहस्पति ग्रह के अनुसार विवाह होता है और विवाह होने के लिए जो सबसे जरूरी जरा होता है वह बृहस्पति होता है और किसी के स्थान और भाव देखते हुए ज्योतिष में गणना की जाती है।

कुंडली मे विवाह योग कैसे देखे (Kundli me vivah yog kaise dekhe )

ज्योतिषीय गणना के अनुसार कुंडली का सप्तम स्थान से जीवनसाथी का निर्धारण किया जाता है यानी कि किसी की भी कुंडली का सप्तम स्थान जो होता है उसकी स्थिति को देखते हुए ज्योतिषियों द्वारा आकलन इस बात का किया जाता है कि व्यक्ति का विवाह कैसा और कब होगा कहा जाता है कि यदि सप्तम स्थान में बृहस्पति और बुध ग्रह एक साथ बैठे हैं तो उस व्यक्ति की एक स्त्री होगी यानी कि उसका एक ही विवाह होता है लेकिन यदि सप्तम स्थान में मंगल और सूर्य हो तब भी ज्योतिषियों के अनुसार उस व्यक्ति की एक ही स्त्री होती है

किसी गणना में यह भी कहा जाता है कि कुंडली के लग्न का स्वामी और कुंडली के सप्तम स्थान का स्वामी दोनों यदि एक साथ या तो पहले स्थान पर या फिर सातवें स्थान में होते हैं तो उस व्यक्ति की दो पत्नियां होती है।

ज्योतिषीय गणना यह भी बताती है कि सातवें स्थान के स्वामी के साथ अगर मंगल ग्रह या राहु और केतु सनी अगर कुंडली के छठे आठवें या बारहवें भाव में होते हैं तो व्यक्ति की दो शादियां होती है और माना जाता है कि एक पत्नी की मृत्यु के बाद फिर व्यक्ति दूसरा विवाह करता है

विवाह के लिए कौन से ग्रह जिम्मेदार है ?

विवाह के लिए फिर से बात वहीं आ जाती है कि सप्तम स्थान में या आठवें स्थान में जो पापक ग्रह माने जाते हैं इसमें शनि राहु और केतु सूर्य और मंगल अगर बारहवें घर में बैठ जाता है तो माना जाता है कि ऐसी स्थिति में व्यक्ति के दो विवाह होने की यानी कि 2 शादियां होने की संभावना बनती है।
विकह के लिए बृहस्पति ग्रह की स्थिति का आकलन किया जाता है और सिवाह की स्थिति क्या रहने वाली है इसका आकलन कई ग्रह जिसमे शनि और शुक्र का भी स्थान देखा जाता है ।
विवाह के लिए इसीलिए किसी योग्य ज्योतिषी द्वारा कुण्डली का मिलान और विचारण किया जाता है ।


कुंडली के दूसरे स्थान को धन का स्थान बताया जाता है और यह भी कहा जाता है कि दूसरे भाव में अगर पाप ग्रह हूं और दूसरे भाव का स्वामी भी पाप ग्रहों से घिरा हो तो व्यक्ति के तीन विवाह होने की संभावना बनती है।

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