Karva Chauth 2023 : कैसे शुरू हुआ करवा चौथ का व्रत जानिए
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करवा ने अपने पति के प्राण बचाए
पौराणकि मन्यता के अनुसार करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री थी। एक बार करवा के पति नदि में स्नान कर रहे थे। उस दौरान मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया। करवा के पति ने अपने प्राण की रक्षा के लिए अपनी पत्नि को पुकारा। करवा के पतिव्रता धर्म का पालन करने से उनके सतीत्व में काफी शक्ति थी। करवा ने अपने पति के प्राण संकट में देख यमराज से अपने पति के प्राण के लिए प्रार्थना की। करवा के पतिव्रता होने के कारण यमराज ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कि और पूछा है देवी आप क्या चाहती हैं। इस पर करवा ने कहा मेरे पति के प्राण उस मगरमच्छ के कारण संकट में पड़े हैं। आप उसे मृत्यु दंड दे दीजिए। ऐसा कहने के बाद यमराज ने करवा से कहा कि उस मगरमच्छ की आयु अभी शेष बची है। तब करवा ने कहा कि यदि आप ने उस मगरमच्छ को मृत्यु दंड नहीं दिया तो में अपने तोपबल से आपको श्राप दे दूंगी।
करवा चौथ के व्रत की शुरुआत
करवा माता के ऐसा कहने पर यमराज के निकट में खड़े चित्रगुप्त सोच में पड़ गए और उसके सतीत्व के कारण उसकी कही बात को टाल भी न सके। तब उन्होंने यमराज से कहा आप मगरमच्छ को यमलोक बुला लें और उसके पति को चिरायु का वरदान दें। यमराज देवता करवा माता के पतिव्रता होने से बड़े प्रसन्न हुए और उनसे कहा कि आपने अपने तपोबल से अपने पति के प्राण संकट से बचाए हैं। में आपसे बहुत प्रसन्न हूं और में आज आपको वरदान देता हूं कि जो भी सुहागिन महिलाएं अपने पति के लिए आज के दिन यानी कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन व्रत रखेंगी। उनके पति की आयु लंबी होगी और उनके सुहाग की रक्षा में स्वयं करूंगा।
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करवा चौथ की कथा सुनने का समय
करवा चौथ की यह कथा अति पावन है। इस कथा को करवा चौथ के दिन सुनन बहुत शुभ माना जाता है। करवा माता की कथा सुनने के लिए यह कथा का पाठ करने के लिए सुहागिन महिलाओं को करवा चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान करना चाहिए। उसके बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। फिर करवा माता की तस्वीर पूजा घर में रख कर उनसे अपने पति की दीर्घ आयु की प्रार्थना करनी चाहिए। करवा चौथ की कथा सुनने के लिए सबसे सही समय अभिजीत मुहूर्त माना गया है। उस समय करवा चौथ की कथा सुनना या उसका पाठ करना दांमप्त्य जीवन के लिए सौभाग्यशाली होता है